मंगलवार शाम को राजस्थान की राजधानी जयपुर में राजस्थान हाईकोर्ट के पास विभिन्न जन संगठनों ने अंबेडकर सर्किल पर इकट्ठा होकर फादर स्टेन स्वामी की सरकार के द्वारा की गई संस्थानिक हत्या के खिलाफ प्रदर्शन किया और मोमबत्ती जलाकर फादर स्टेन स्वामी को श्रद्धांजलि दी.
इस अवसर पर वक्ताओं ने बताया कि किस तरह 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी को सरकार ने UAPA के तहत जेल में बंद रखा और बुजुर्ग और बीमार होने के बावजूद उनको बेल नहीं दी गई जिससे उनकी पुलिस हिरासत में ही मृत्यु हो गई. प्रदर्शन में वक्ताओं ने सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की भी मांग की.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की प्रदेशाध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने बताया कि जयपुर के सामाजिक संगठन फादर स्टेन की संस्थागत हत्या के खिलाफ खड़े हुए हैं.
उन्होंने बताया कि आज फादर स्टेन की मौत के लिए जिम्मेदार एनआईए, भारत सरकार, अदालत और महाराष्ट्र सरकार के अन्यायपूर्ण, पक्षपातपूर्ण, असंवैधानिक तरीकों के विरोध में कई सामाजिक कार्यकर्ता इस प्रदर्शन में शामिल हुए हैं.
उन्होंने बताया कि फादर स्टेन ने मांग की थी कि उन्हें अंतरिम जमानत दी जाए और उन्हें झारखंड में अपने लोगों के पास भेजा जाए जहां वह अंतिम सांस ले सके, लेकिन एनआईए ने हर बार जमानत अर्जी दाखिल करने पर उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया. इसके बजाय एनआईए ने यह तक कह दिया कि फादर स्टेन जमानत के लिए अपनी उम्र का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसके वह हकदार नहीं हैं.
उन्होंने बताया कि अदालतों ने भी करुणा के साथ काम नहीं किया और उनके दर्द और पीड़ा को नजरअंदाज कर दिया, फिर चाहे वह सिपर हो या अंतरिम जमानत. यही नहीं जेल अधिकारियों ने तो फादर स्टेन का कोविड-19 का टेस्ट कराने या टीका लगवाने तक से इनकार कर दिया.
उन्होंने बताया कि आज हमनें नारों, भाषण और कविताओं के माध्यम से यह मांग की है कि एनआईए और महाराष्ट्र जेल अधिकारियों सहित उनकी मौत के लिए जिम्मेदार और दोषी लोगों को जवाबदेह बनाया जाए. साथ ही यह भी मांग की है कि यूएपीए को निरस्त किया जाए और भीमा कोरेगांव के सभी 15 आरोपियों को, जिन्हें झूठा फंसाया गया है, रिहा किया जाए.
दलित सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने इस बात पर गहरा दुःख जताया कि जीवन भर हाशिए के समुदायों के लिए लड़ने वाले योद्धा को जीवन के आख़िरी समय में न ठीक से चिकित्सा सुविधा मुहैया करवा सके और न ही उनको जमानत मिल सकी.
उन्होंने कहा कि गम्भीर रोगों से जूझ रहे एक वयोवृद्ध मानव अधिकार कार्यकर्ता के साथ हमारी सत्ता ने जो किया,वह अक्षम्य अपराध है. शायद एक देश के रूप में हमने फादर स्टेन को श्रद्धांजलि देने का नैतिक अधिकार भी खो दिया है.
क्रांतिकारी निर्माण मज़दूर संगठन के रितांश आज़ाद ने बताया कि इस घटना से सरकार के फासीवादी चरित्र को साफ देखा जा सकता है और इसके खिलाफ पुरज़ोर लड़ाई की ज़रूरत महसूस होती है. हम सरकार को कहना चाहते हैं कि समय आने पर इनके द्वारा की गई हर संस्थानिक हत्या का हिसाब लिया जाएगा. फादर स्टेन की संस्थानिक हत्या का जिम्मेदार कौन है इस बात का जवाब प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, NIA, अदालत और महाराष्ट्र सरकार को देना चाहिए.
विरोध प्रदर्शन और श्रद्धांजलि सभा में गांधीवादी नेता सवाई सिंह, दलित नेता भंवर मेघवंशी, पूर्व जज टेक चंद राहुल, मजदूर किसान शक्ति संगठन (एमकेएसएस) के निखिल डे, महिला आंदोलन की नेता निशा सिद्धू , सुमित्रा चोपड़ा, कोमल श्रीवास्तव, सरला कुमारी, मजदूर संगठन के नेता हरकेश बुगालिया, मुकेश निर्वासित, रितांश आजाद, बप्पादित्य सरकार, अनिल मिश्रा, कमल टाक, मोहम्मद हसन, सुधांशु मिश्रा, हेमेंद्र गर्ग और कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.
अंत में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के चरणों में मोमबत्तियां जलाकर और दो मिनट का मौन रख कर फादर स्टैन स्वामी को श्रद्धांजलि दी गई.