कविता- मेरे क़लम-ओ-अल्फ़ाज़, रूठे बैठे हैं, वो शिकायत करते हैं !

मेरे कलम-ओ-अल्फ़ाज़….! रूठे बैठे हैं, वो…. शिकायत करते हैं. …. बड़े दिन हुए,मिली नहीं हमसे ठीक…

“महिला दिवस” पर बधाइयां देने वाले बहुत मिलेंगे, सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने वाले बहुत कम!

“महिला”- यह नाम सुनते ही उसकी स्वतंत्रता, अधिकार, अत्याचार आदि बातें दिमाग मे घूमने लगती है,महिला…

मेरी पहली कविता “मन है बैचैन आज”

 “मन है बैचैन आज” मन है बैचैन आज क्योंकि हुआ ही है कुछ ऐसा आज एक…

13 पॉइंट रोस्टर पर शिक्षित बहुजनों की चुप्पी सवाल खड़े करती है!

पहले 10 % सवर्ण आरक्षण दिया गया। जबकि इसकी कभी कोई मांग नहीं की गई। इसके…