विंग कमांडर अभिनंदन कूटनीति से वापिस आएंगे – भाषणों से नहीं:
इमरान खान चालाक नेता साबित हो रहे हैं. शांति और युद्ध के खिलाफ भाषण भी दे दिया भारत को. साफ है कि वो विश्व बिरादरी को संबोधित कर रहे हैं और इसमें उन्हे कामयाबी भी मिल रही है.
रूस समेत विश्व की जो ताकते पाकिस्तान को उसकी धरती में पल रहे आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने की नसीहत देती थीं अब दोनों देशों से कह रहीं हैं कि मिल बैठ कर तनाव कम करें. पश्चिम के देशों और भारत के करीब अंतरराष्ट्रीय मित्रों का ये नया रुख है.
पाकिस्तान के विदेश नीति विशेषज्ञ ये मानते हैं कि भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर उसकी बात का ज्यादा वजन है क्योंकि बड़ी शक्तियों के आर्थिक हित भारत से सिद्ध होते हैं – लेकिन मोदी सरकार फिलहाल तो इस मामले की कूटनीति में विफल रही है.
समस्या ये है कि मोदी सिर्फ अपने समर्थकों को संबोधित करते हैं और भाषा का संयम छोड़ देते हैं. इमरान खान की तनाव कम करने की बात और मोदी की ललकारने वाली भाषा का फर्क अंतराष्ट्रीय बिरादरी देख रही है.
पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर सर्जीकल स्ट्राइक को मोदी का चुनावी स्टंट करार दे रहा है और मोदी अपने भाषणों से इमरान खान को पूरी दुनिया के सामने सच साबित करने में लगे हैं.
विंग कमांडर अभिनंदन पाकिस्तान के कब्जे में हैं और उन्हे वापिस लाने के प्रयास भी हो रहे होंगे – ये मोदी सरकार की कूटनीति का बड़ा इम्तिहान है. बात अजित दोभाल के सीमित दायरे से काफी आगे जा चुकी है. दोभाल की क्षमता कंधार में दिख चुकी है जब मसूद अज़हर को छोड़ने पर रजामंदी हुई थी.
मोदी अभी भी अजित दोभाल पर निर्भर रहेंगे या कूटनीति के इदारों को मौका देंगे ये तो वही जाने लेकिन विंग कमांडर अभिनंदन की वापसी के प्रयासों में अगर जल्द कुछ ठोस नहीं हुआ तो जो जनता का दबाव बनेगा उसे झेल नहीं पाएंगे.
IC 814 के अपहरण के वक़्त भी इसी सवर्ण मिडिल क्लास ने वाजपेयी पर भयंकर दबाव बनाया था कि सरकार को ऐसे समझौते करने पड़े जिसकी बड़ी कीमत देश चुका रहा है.
–प्रशांत टंडन
(लेखक दिल्ली में वरिष्ठ पत्रकार हैं)