लैला-मजनूँ : मोहब्बत के अप्रितम किरदार


लैला-मजनूँ : मोहब्बत के अप्रितम किरदार

✍Shoukat ali khan

आस्तान-ए-मोह्ब्बत की हाजिरी में अक़्सर दीवानों का हुजूम उमड़ता है जहां प्रेम का फ़ैज़ लूटता है।

लैला-मजूं मोहब्बत और दीवानगी के ऐसे किरदार है जिसकी खुशबू पाकर हर एक की मोह्ब्बत सँवर जाती है और उनकी मजार जहाँ प्रेमी युगल आपसी सलामती और अपने प्रेम को चाँद-सितारों तक पहुंचाने के लिए हाज़िरी देने जाते है।

रब ने मोहब्बत नाम का एक ऐसा हर्फ़ नाज़िल किया है जिसकी करामात से नफ़रत बेज़ान सी हो जाती है हर एक जुदाई और बेवफाई अपने किरदार से लहूलुहान सी हो जाती है।

अरब के प्रेमी युगल लैला-मजनूँ सदियों से प्रेमियों के आदर्श रहे हैं और रहें भी क्यों नहीं, इन्होंने अपने अमर प्रेम से दुनिया को दिखा दिया है कि मोहब्बत इस जमीन पर तो क्या जन्नत में भी जिंदा रहती है।

अरबपति शाह अमारी के बेटे कैस की किस्मत में यह प्रेमरोग हाथ की लकीरों में ही लिखा था। उसे देखते ही ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि कैस प्रेम दीवाना होकर दर-दर भटकता फिरेगा। ज्योतिषियों की भविष्यवाणी को झुठलाने के लिए शाह अमारी ने खूब मन्नतें कीं कि उनका बेटा इस प्रेमरोग से महरूम रहे, लेकिन कुदरत अपना खेल दिखाती ही है।

दमिश्क के मदरसे में जब उसने नाज्द के शाह की बेटी लैला को देखा तो पहली नजर में उसका आशिक हो गया। मौलवी ने उसे समझाया कि वह प्रेम की बातें भूल जाए और पढ़ाई में अपना ध्यान लगाए, लेकिन प्रेम दीवाने ऐसी बातें कहाँ सुनते हैं। कैस की मोहब्बत का असर लैला पर भी हुआ और दोनों ही प्रेम सागर में डूब गए।

नतीजा यह हुआ कि लैला को घर में कैद कर दिया गया और लैला की जुदाई में कैस दीवानों की तरह मारा-मारा फिरने लगा। उसकी दीवानगी देखकर लोगों ने उसे ‘मजनूँ’ का नाम दिया। आज भी लोग उसे मजनू के नाम से जानते हैं और मजनू मोहब्बत का पर्याय बन गया है।

लैला-मजनूँ को अलग करने की लाख कोशिशें की गईं लेकिन सब बेकार साबित हुईं। लैला की तो बख्त नामक व्यक्ति से शादी भी कर दी गई। लेकिन उसने अपने शौहर को बता दिया कि वह सिर्फ मजनूँ की है। मजनूँ के अलावा उसे और कोई नहीं छू सकता। बख्त ने उसे तलाक दे दिया और मजनूँ के प्यार में पागल लैला जंगलों में मजनूँ-मजनूँ पुकारने लगी। जब मजनूँ उसे मिला तो दोनों प्रेमपाश में बँध गए। लैला की माँ ने उसे अलग किया और घर ले गई। मजनूँ के गम में लैला ने दम तोड़ दिया। लैला की मौत की खबर सुनकर मजनूँ भी चल बसा।

उनकी मौत के बाद दुनिया ने जाना कि दोनों की मोहब्बत कितनी अजीज थी। दोनों को साथ-साथ दफनाया गया ताकि इस दुनिया में न मिलने वाले लैला-मजनूँ जन्नत में जाकर मिल जाएँ।

लैला-मजनूँ की कब्र आज भी दुनियाभर के प्रेमियों की इबादतगाह है। समय की गति ने उनकी कब्र को नष्ट कर दिया है, लेकिन लैला-मजनूँ की मोहब्बत जिंदा है और जब तक दुनिया है जिंदा रहेगी।

काश ! मोहब्बत की खुशबू से सारा जहां रोशन हो जाए !

फानूस बनकर जिसकी हिफाजत हवा करे
वो शमा क्या बुझे जिसे रोशन ख़ुदा करे

 

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