मैं उन लोगों में से नही हूँ जो भावनाओं में बहकर “देशभक्ति” दिखाते हैं,राजनीति का उपयोग बनते हैं,या देशभक्ति का सर्टिफिकेट हासिल करने की जुगत में लगे रहते हैं,एक बार मेरे एक हिन्दू मित्र ने मुझसे कहा और ऐसा मेरे साथ कई बार हुआ है की सेना पर हमलों की घटनाओं पर तू कुछ क्यूं नही लिखता ? इसका मेरे पास हर बार एक ही जवाब रहा है की मैं शांत रहूं,क्योंकि फेसबुक पर लिखना ना लिखना सेना के साथ प्यार और मुहब्बत का मापदंड नही है,अगर देश की सेना के प्रति आपके मन में सम्मान है प्यार है मुहब्बत है तो उस राजनीति को पहचानिए जिसके रहते हमारी सेना हर बार ये सहती है,सत्ता,विपक्ष या आपके आस पास,इधर उधर,यहां वहां कौन है जो राजनीति कर रहा है।
कल की घटना के बाद से मीडिया, सोशल मीडिया पर एक खास ट्रेंड महसूस कर रहा हूँ की कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं,2019 के चुनावों को विमर्श में लाया जा रहा है,कुछ लोग अपने आपको साबित करने की कोशिश में हैं की “गहरा दुख पहुंचा है” और कुछ दूसरों का दुख टटोल रहे हैं,आसपास का माहौल बेवजह की बहसों से अटा हुआ है,पाकिस्तान के खिलाफ नफ़रतें उगल कर दिल को तसल्ली दी जा रही हैं,खास व्यक्तित्व विचार को उम्मीद की किरण बना कर “भावनाओं” से खेलने का प्रोग्राम सेट किया जा रहा है,ताकि खेल खेल में अपना उद्देश्य पूरा हो जाए।
जो भी लोग सियासत कर रहे हैं उन्हें पहचानिए, सरकारें आती जाती रहेंगी, लेकिन जो “आह” एक पत्नी की अपने पति के लिए,एक माँ की अपने बेटे के लिए,एक बहन की अपने भाई के लिए,एक बच्चे की अपने पिता के लिए निकली है वो बहुत दूर तक जाएगी,अगर आप भी इस सियासत का शिकार हो लिए तो ये आह आपको भी लगेगी।
मन बहुत दुखी है कल की घटना के बाद,अजीब सी कैफियत है की कैसे घर के लोग सह पा रहे होंगे,ये कैसी मौत है मेरे खुदा ? की कुछ कह पाने का मौका भी नही मिला,महसूस कीजिए इस दर्द को और लड़िए सियासत की चालबाज़ियों से।