मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद शमशेर भालू खान ने पहने कपड़े, धरना किया समाप्त !


23 फरवरी को राजस्थान का बजट विधानसभा में पेश होने के बाद से ही राजस्थान के मदरसा पैराटीचर्स, राजीव गांधी पैराटीचर्स और शिक्षाकर्मी अपने आपको ठगा हुआ सा महसूस कर रहे थे, क्योंकि 2 अक्टूबर से नियमितिकरण की मांग को लेकर जयपुर के शहीद स्मारक पर चल रहे आंदोलन को 31 दिसंबर 2021 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आश्वासन के बाद खतम कर दिया गया था.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायक रफीक खान, अमीन कागज़ी और वाजिब अली की मौजूदगी में 31 दिसम्बर को जूस पिलाकर शमशेर भालू खान का अनशन तुड़वाया था और नियमितिकरण का वादा किया था.

मदरसा पैराटीचर्स, राजीव गांधी पैराटीचर्स और शिक्षाकर्मियों को इस बार बजट से बड़ी उम्मीदें थी और उन्हें यह लगा था कि मुख्यमंत्री बजट में उनके नियमितिकरण की घोषणा भी जरूर करेंगे. 23 फ़रवरी को अपने बजट भाषण में मुख्यमंत्री ने सभी संविदाकर्मियों के मानदेय में 20% बड़ोतरी की घोषणा तो की लेकिन नियमितिकरण की कोई बात उन्होंने नही कही.

इससे नाराज़ होकर 23 फरवरी को ही शमशेर भालू खान के नेतृत्व में मदरसा पैराटीचर्स, राजीव गांधी पाठशाला पैराटीचर्स और शिक्षाकर्मियों ने 31 दिसंबर को मुख्यमंत्री से मुलाकात करवा कर आंदोलन खत्म करवाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले विधायक अमीन कागज़ी के सरकारी आवास पर धरना दे दिया.

इसके बाद 24 फ़रवरी 2022 को अखिल राजस्थान राजीव गांधी पैराटीचर, शिक्षकर्मी व मदरसा पैराटीचर आयुक्त संघर्ष समिति की आपात बैठक जयपुर में आयोजित की गई.

शमशेर भालू खान ने बताया कि बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि राजस्थान सरकार से 21 जुलाई 2019 को आदरणीय मुख्यमंत्री महोदय अशोक गहलोत द्वारा, 21 नवम्बर 2020 उदयपुर के दांडी समझौते, 8 अक्टुबर 2021 के दांडी2 के समझौते, 31दिसम्बर 2021 आदरणीय मुख्यमंत्री महोदय के वादे के अनुसार हमने बार-बार समझौता वार्ता व वादे पर विश्वास किया लेकिन हर बार धोखा ही मिला.

उन्होंने बताया कि इसके बाद भी सरकार ने बजट 2022-23 में राजीव गांधी पैराटीचर, शिक्षकर्मियों व मदरसा पैराटीचर की आशाओं को मिट्टी में मिला दिया. इस पूरे घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुये और सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में हमने यह निर्णय लिया कि दिनांक 25 फरवरी 2022 से सभी राजीव गांधी पैराटीचर, शिक्षाकर्मी व मदरसा शिक्षा सहयोगी अनिश्चित काल के लिये हड़ताल पर रहेंगे और जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना देंगे.

23 फरवरी को दोपहर 3 बजे से विधायक अमीन कागज़ी के घर पर शुरू हुआ धरना 24 फरवरी शाम को उनसे मुलाकात और सकारात्मक आश्वासन के बाद खतम कर दिया गया.

25 फरवरी शुक्रवार से एक बार फिर से मदरसा पैराटीचर्स, राजीव गांधी पैराटीचर्स और शिक्षाकर्मी जयपुर के शहीद स्मारक पर अनिश्चित कालीन धरने पर बैठ गए.

26 फरवरी शनिवार को दोपहर में वित्त विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोड़ा ने शमशेर भालू खान और संघर्ष समिति के पदाधिकारियों से वार्ता की और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से शाम 4 बजे मुलाकात करवाई.

विधायक अमीन कागज़ी के घर पर कपड़े पहनने के बाद

मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद शमशेर भालू खान ने वार्ता को सकारात्मक बताया और धरने को समाप्त करने की घोषणा कर दी. शमशेर भालू खान ने 2 अक्टूबर 2021 से ही वस्त्र त्याग दिए थे और जब तक मांग नहीं मानी जाती तब तक घर नहीं जाने का प्रण लिया था. मुख्यमंत्री के साथ सफल वार्ता के बाद विधायक अमीन कागज़ी ने शमशेर भालू खान को वस्त्र पहना कर उनका प्रण तुड़वाया और अब वो करीब 5 महीने बाद 27 फरवरी को अपने घर चुरू वापस जाएंगे.

संघर्ष समिति के सदस्य मदरसा पैराटीचर नदीम खान ने बताया कि मुख्यमंत्री के साथ हुई वार्ता में यह आश्वासन दिया गया है कि मदरसा पैरा टीचर्स, राजीव गांधी पाठशाला पैराटीचर्स और शिक्षाकर्मियों को नियमित करने का काम चल रहा है. संविदा कर्मियों के लिए बनाए गए नियमों के तहत ही हमें भी नियमित किया जाएगा.

नदीम खान ने बताया कि सभी संविदा शिक्षकों को उनकी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार ही पद देकर बिना किसी परीक्षा के नियमित किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि संघर्ष समिति और सरकार के मध्य कम्युनिकेशन गैप को खतम करने के लिए एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया जाएगा जो नियमितिकरण की प्रक्रिया की जानकारी संघर्ष समिति को देगा और कोई शिकायत होने पर उसको मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का काम करेगा.

हालांकि इसके लिए अभी कोई समय सीमा तय नहीं की गई है कि कब तक यह नियमितिकरण हो जाएगा और ना ही सरकार की तरफ से ऐसा कोई लिखित आदेश अब तक सामने आया है इसलिए लोगों को यह भी संशय है कि कहीं यह भी पहले की तरह सिर्फ आश्वासन ही बन कर ना रह जाए.


 

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