ऑनर किलिंग: बहन के पति की हत्या में शामिल भाई की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज !


राजस्थान की राजधानी जयपुर में 17 मई 2017 ऑनर किलिंग का एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया था जिसमें अमित नायर की उसके सास-ससुर ने हत्या कर दी थी. अमित नायर ने मई 2015 में ममता चौधरी से प्रेम विवाह किया था. इस प्रेम विवाह से ममता के परिवार वाले बहुत नाराज़ थे. 2017 में जब अमित नायर की हत्या हुई तब ममता नायर गर्भवती थी.

ममता के परिवार वालों को ना तो उन दोनों की यह शादी स्वीकार थी और ना ही ममता का गर्भवती होना स्वीकार था. इस नाराज़गी के चलते ही ममता के परिवार वालों से 17 मई 2017 को अपने साथ लाये शूटर के जरिये, अमित व ममता नायर के घर जयपुर जाकर हत्या करवा दी. अमित की हत्या के बाद ममता के परिवार वाले ममता को अपने साथ खींच कर ले जाने लगे लेकिन आस पड़ोस के लोगों की भीड़ द्वारा विरोध जताने पर ले जाने में असमर्थ रहे.

घटना के बाद इस मामले में पुलिस ने तत्परता से कार्यवाही करके प्रमुख आरोपी ममता नायर के पिता जीवन राम, माता भगवानी देवी, भाई मुकेश चौधरी और पूर्व सरपंच भगवाना राम को गिरफ्तार कर लिया था. शूटर रामदेवा राम को 2 माह के बाद गिरफ्तार किया गया था और 14 अगस्त 2020 को जयपुर पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया था.

ममता के भाई मुकेश चौधरी को राजस्थान हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी जिसको रद्द करवाने के लिए ममता ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी. ममता की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश की जमानत को रद्द कर दिया है और तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया है.

अभी हाल ही में 9 जुलाई को राजस्थान उच्च न्यायालय ने ममता की माँ भगवानी देवी को भी ज़मानत दे दी है. ममता ने इस जमानत को भी खारिज़ करवाने के लिए उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया है.

PUCL राजस्थान की प्रदेश अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने बताया कि हमें इस बात की संतुष्टी है की उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमन्ना व न्यायमूर्ति बोपन्ना व न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने आज आरोपी मुकेश चौधरी, जो 2017 के अमित नय्यर “ऑनर किल्लिंग” कांड में आपराधिक साजिश के आरोपी हैं, की राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा दी गई ज़मानत को रद्द कर, मुकेश चौधरी को अभ्यर्पण (surrender) करने को कहा है. उच्च न्यायालय का कहना था की मुकेश चौधरी मौका ए वारदात पर हाज़िर नहीं था, इसी संदेह का लाभ देते हुए, उसको 1 दिसम्बर, 2020 को ज़मानत दे दी गई थी.

उच्चतम न्यायालय की वर्त्तमान पीठ ने पूर्व में मई 2018 के मुकेश चौधरी की ज़मानत को रद्द करने के ही उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पहली नज़र में मुकेश की अहम् भूमिका अमित नैयर की हत्या में है. इसीलिए न्यायमूर्ति रमन्ना की पीठ ने आज अपने आदेश में कहा की राजस्थान उच्च न्यायालय का आदेश कानूनी रूप से असंगत है, टिकाऊ नहीं है (unsustainable) और इसीलिए उसे रद्द (set aside ) किया जाना चाहिए. दूसरा बात यह भी कही की मुकेश चौधरी को जिला व सेशन न्यायाधीश जयपुर सिटी के समक्ष सरेंडर करे. साथ ही ट्रायल कोर्ट को यह आदेश दिया है एक साल के अंदर ट्रायल खत्म कर देना चाहिए.

ममता नैयर ( मृतक अमित नैयर की पत्नी और मुकेश चौधरी की बहन ) की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने अपनी पैरवी में दलील दी की अभी भी लगभग 20 गवाहों के बयान नहीं हुए है, जिसमे कुछ महत्वपूर्ण गवाहों के बयान होने अभी बाकी हैं. उनका यह भी कहना था की ममता को अनेक शिकायत पत्र दर्ज कराने पड़े थे जब मुकेश पिछली बार ज़मानत पर निकला था, लगातार दबाव था की वह इस मसले को छोड़ दे. इस तरह के नजदीकी रिश्ते में मानसिक रूप से दबाव और ब्लैकमेल करना न्याय के अहित में जा सकता है. उनकी टीम में नुपुर कुमार (AOR) व आँचल सिंह भी शामिल थे.

ममता ने इस ज़मानत को चुनोती देते हुए उच्चतम न्यायालय में SLP दर्ज कराई, जिसकी सुनवाई 7 मई को हुई. उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम्. वी. रमन्ना व न्यायमूर्ति सूर्यकांत के समक्ष सुनवाई हुई और मुकेश चौधरी और राजस्थान सरकार दोनों पक्षों को नोटिस ज़ारी किये गए.

जुलाई महीने में तीन सुनवाई हुई जिसमे राजस्थान सरकार ने अपने हलफनामे में कहा की उनकी और से भी यही मानना है की आरोपी को ज़मानत रद्द होनी चाहिए. 9 जुलाई को मुकेश के वकील वरिष्ट अधिवक्ता वीके शुक्ल व राजस्थान सरकार की तरफ से वकील एचडी थानवी ने पैरवी की .

ममता की मां को भी हाईकोर्ट ने दी जमानत

9 जुलाई 2021 को राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर के न्यायाधीश जस्टिस पंकज भंडारी द्वारा अमित नायर होनर किलिंग मामले की प्रमुख आरोपी ममता चौधरी की मां भगवानी देवी (अमित नायर की सास) को भी जमानत पर रिहा कर दिया है. इससे पहले न्यायमूर्ति भंडारी ने ही ममता के भाई मुकेश चौधरी को भी जमानत दे दी थी.

इस केस की सुनवाई को 4 साल हो गये है और अभी भी आधे से कम गवाह के बयान हुए है. 4 साल बाद भी यह मामला ट्राइल में ही है. इस बीच में आरोपियों को जमानत पर रिहा करना यह दर्शाता है कि कोर्ट द्वारा इस मामले की गंभीरता को नज़र अंदाज किया जा रहा है.

पुलिस द्वारा दाखिल आरोप पत्र में भगवानी देवी (अमित नायर की सास) के खिलाफ यह पाया गया है कि वह बार-बार ममता से अमित नायर के जयपुर प्रस्थान के बारे में टेलीफोन करके जानकारी हासिल करती थी.

भगवानी देवी की सीधी भूमिका अपने पति के साथ इस साजिश में शामिल होना पाया गया है. बतौर सबूत आरोपी के पास से मोबाइल फ़ोन जब्त किया गया और हत्या के बाद फरार होने की कोशिश में पकडे जाने पर गिरफ्तार किया गया.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की आरोपी भगवानी देवी एक बार पहले भी अपने पति और शूटर के साथ हत्या के लिए अमित के घर गए थे पर उस वक़्त अमित और उसकी पत्नी अपने पुरे परिवार के साथ केरल गए हुए थे जिसकी जानकारी होने पर आरोपियों ने दुबारा आने का प्लान बनाया और 17 मई 2017 को इस जुर्म को करने में कामयाब हो गये. आरोपी द्वारा अमित की हत्या के पश्चात ममता को अपने साथ ले जाने की कोशिश की गयी पर वह उसमे विफल रही.

पीयूसीएल के महासचिव अनंत भटनागर का मानना है की राजस्थान हाई कोर्ट को महिलाओं के मुद्दों में खासतोर से होनर किलिंग (इज्जत के नाम पर हत्या) के मामलों में बहुत ही संवेदनशीलता व गंभीरता से पेश आना चाहिये. पीयूसीएल ममता व उसके पुरे परिवार को हर स्तर की कानूनी लड़ाई में सहयोग करता आया है और अन्य महिला संगठनो के साथ मुख्य न्यायाधीश राजस्थान व सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखेंगे की राजस्थान के जजों में जेंडर सवेंदनशीलता का प्रशिक्षण करना बहुत जरुरी है.

(प्रतिकात्मक फोटो, क्रेडिट – Reuters)


 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *