चुनावी मौसम में जिस चीज़ की सबसे बड़ी वर्षा होती है वह क़यासबाजी़. भारत में कयासबाजियों में लगभग हर नागरिक PHD है.
चाय की दुकानों से लेकर होटलों पर बाज़ारों,चौराहों पर आपको कोई न कोई कयासबाजी़ लगाता हुआ मिल जाएगा.
ऐसे ही क़यासबाजी़ इन दिनों चर्चा में है.
चर्चा ये हैं की सवाईमाधोपुर-टोंक लोक सभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी दिया कुमारी होंगी.
भाजपा ने तो वर्तमान सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया को फिर से उम्मीदवार बनाया है.
अब ज़रा जान लीजिए कि दीया कुमारी हैं कौन?
दीया कुमारी जयपुर राजघराने की राजकुमारी हैं यह तो हुआ उनका प्रथम परिचय दूसरा परिचय यह है की वे पिछली सरकार में सवाईमाधोपुर विधानसभा से विधायक थीं वो भी भाजपा से.
और अब कयासबाजी तो यह कि उन्हें सवाईमाधोपुर-टोंक लोक सभा क्षेत्र से टिकट दिया जाएगा.
अब उसके भी अपने अपने तर्क हैं भाई साब बात में वज़न डालने के लिए तर्क की बहुत ज़्यादा आवश्यकता है.
अब चाहे यह तर्क किसी चौपाटी पर बैठकर ही क्यों न बनाएँ गया हो!
पहला तर्क यह है कि इस बार उनका टिकट सवाईमाधोपुर विधानसभा से काट दिया था इसलिये वो नाराज़ हैं भाजपा से.दूसरा तर्क यह है कि उनकी नाराज़गी तिगुनी हो गई जब भाजपा ने जयपुर शहर से दोबारा सांसद रामचरण बोहरा को उम्मीदवार बना दिया है तर्कवीरों का कहना है कि दिया कुमारी यहाँ से टिकट माँग रही थी.
हालाँकि दिया कुमारी के जन्म दिन पर वसुंधरा राजे बेटे दुष्यंत के साथ उन्हें बधाई देने घर गयी थीं.साथ बैठकर चाय भी पी थी!
इन तर्कों में दम तो है,लेकिन दिया कुमारी का इस बारे में कुछ भी नहीं कहना.
लेकिन इन कयासबाजियों से सबसे ज़्यादा अगर कोई परेशान है तो वो हैं पूर्व केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा.
क्योंकि उन्होंने सवाई माधोपुर-टोंक से उम्मीदवारी की ताल ठोक रखी है.
अब देखते हैं कि इन कयासबाजियों पर मुहर लगेगी या फिर भी वही ढाक के तीन पात.