ये नीले कोट पहने और दरमियाना कद लिए और बहुत बड़े मुकाम पर ये शख़्स सिर्फ “संविधान निर्माता” नही है,ये एक आह है,एक उम्मीद है और एक संघर्ष है जो मटके से पानी न पीने देने से शुरू हुआ था!
जो “जाति” देख कर तांगे से नीचे धक्का देने से शुरू हुआ था,जो चल बे “महार” जैसी बात सहने से शुरू हुआ था,और अब तक चल रहा है “बाबा साहेब” !
उनके पढ़ने के लिए किये गए संघर्ष को देखिये,क्योंकि आप बराबरी कर ही नही पाएंगे और आप इस शख्सियत पर तरस भी मत खाइये क्योंकि शायद आपकी हैसियत इस शख्स जैसी नही हो सकती है!
क्योंकी ये शख्स 5000 हज़ार साल के मिथक को तोड़ उसके गिरेबां को पकड़ लेने की हिम्मत रखता है,हज़ारोे सालों से “अछूत” बन कर रहने वाले समाज के लिए खड़ा होने का दम खम रखता है!
उनकी आवाज़ बन “गोलमेज़” सम्मेलन में बोल कर “महात्मा” से भी आँख से आंख मिलाने की जुर्रत करता है,आप इस शख़्सियत पर तरस मत खाइये,आप इस शख्सियत से सीखिए,इस शख़्सियत को पढिये और समझिये!
क्योंकि ये आम इंसान नही था,ये अपने समाज के लिए लड़ने और “ब्राह्मणवाद” के खिलाफ लड़ कर अपने समाज को हक़ दिला देने की हिम्मत रखता है,ये शख़्सियत हर उस मिथक को तोड़ देने,और उसके खिलाफ हमेशा खड़े रहने की हिम्मत रखता था!
अपने समाज को खड़ा करने और बराबर करने की हिम्मत रखता था,और “ब्राह्मणवाद” की हर एक नीति के ख़िलाफ़ “अम्बेडकरवाद” का सिद्धान्त देता था!
आप इस शख़्सियत को पढिये और सभी को पढ़ाईयें क्योंकि अम्बेडकर को ज़िंदा रखने के लिए उन्हें पढा जाना ही ज़रूरी है!
यही अहम है इस फर्क को समझिये और उनकी सालों की मेहनत को खत्म मत करिए,और आज ही से ऐसा करिये,क्योंकि “अम्बेडकर” बार बार नही आते है…अम्बेडकर को ज़िंदा रखिये ये देश के लिए बहुत ज़रूरी है…