39वां जय प्रकाश नारायण स्मृति व्याख्यान, जयपुर में सम्पन्न
“देश में हर कोई अपने ढंग से भारतीय है, और हर कोई अधूरा भारतीय इसलिए कोई नही कह सकता कि उसका ही भारतीयता का विचार सबसे ऊपर हो । राष्ट्र एक दूसरे से रिश्ते बनाने से बनता न कि एक दूसरे को अपनी शक्ल में ढालने से। यह नही सोचना चाहिए कि जो पहले आया वो अधिक भारतीय है जो बाद में आया व कम भारतीय है, क्योंकि भारतीय ता किसी एक वक्त बन नही जाती, वह बनती रहती है”
यह विचार डॉ अपूर्वानंद ने वर्तमान भारत में संकीर्ण बनते जा रहे सोच के संदर्भ में कहा। PUCL द्वारा आयोजित 39 वा जय प्रकाश नारायण स्मृति व्याख्यान में वे बोल रहे थे। यह व्याख्यान राष्टीय PUCL द्वारा आयोजित कार्यक्रम था।
डॉ. अपूर्वानंद ने इस बात पर भी जोर दिया कि राष्ट्र को एक निमंत्रण की तरह होना चाहिए न कि एक धमकी।
PUCL चूंकि 1975 में आपातकाल के दौरान जेल के अंदर बनाई गई संस्था थी और जय प्रकाश नारायण द्वारा पहल कदमी के तहत बनाई गई थी। और 23 मार्च 1977 को इंदिरा गांधी द्वारा हटाई गई इसलिये 23 मार्च का महत्व को स्थापित करने के उद्देश्य से यह व्याख्यान, एक विचारों के संवाद के तहत रखा जाता है।
अपनी बात रखते हुए, PUCL के अध्यक्ष रवि किरण जैन, वरिष्ठ वकील उच्चतम न्यायालय ने कहा की सबसे ज़्यादा संकट न्यायपालिका का है, जो एक बाबरी मस्जिद जैसे सवाल पर निर्णय देने से कतराती है व उसका हल मध्यस्ता से करवा रही है। उन्होंने कहा कि देश में न्यायव्यस्था को ठीक करना बहुत ज़रूरी था।
कार्यक्रम का परिचय देते हुए PUCL राज्य अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहा यह दिन जय प्रकाश को याद करने के अलावा, डॉ राम मनोहर लोहिया का जन्म तिथि का भी दिन था और शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव का शहादत दिवस था व कवि अवतार सिंह पाश की हत्या का दिन, इसलिए आज का दिन का महत्व इतने महान देश के नायकों के पीठ पर किया जा रहा था।
डॉ लोहिया विचार समिति के बसंत हरयाणा, PUCL के राज्य उपाध्यक्ष सवाई सिंह, जनवादी लेखक संघ के संदीप मील, ऐस आर अभियान के मुकेश गोस्वामी इत्यादि ने विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ अनंत भटनागर, राज्य महासचिव PUCL राजस्थान ने कहा। जयपुर जीके के PUCL सचिव, नेसार अहमदने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम, राजस्थान विश्वविद्यालय के देराश्री शिक्षक सदन में हुआ।
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