जयपुर। एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) राजस्थान प्रदेश महासचिव मुजम्मिल रिजवी ने बताया कि चित्तौडगढ जिले के राषमी थाना के अंतर्गत पहुंना गांव में होली के दौरान 19 मार्च 2024 को हिन्दू समाज की ओर से बेवाण नामक एक जूलुस निकाला जा रहा था। जो सदर बाजार से होता हुआ जामा मस्जिद के सामने पहुंचा जिसमें लगभग 100-150 लोग मौजूद थे। जूलुस के दौरान तेज आवाज में ढोल बजाया जा रहा था एवं आपत्तिजनक नारे लगाए जा रहे थे। रमजान का महिना होने की वजह से उस समय मस्जिद में तरावीह की नमाज अदा की जा रही थी। इसलिए मस्जिद के बाहर कुछ लोगों ने आपत्तीजनक नारे एवं ढोल धीरे बजाने के लिए कहा तो कुछ लोगों ने उस बात को तूल देते हुए विवाद खड़ा कर दिया। विवाद इतना बढ़ गया कि उसने सांप्रदायिक दंगे का रूप ले लिया। जिसमें कई लोगों को चोटें भी आई। मामले को शांत करने के लिए पुलिस मौके पर पहुंची और चोटिल हुए लोगों का मेडिकल उपचार करवाया गया तथा कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।
मामले की जानकारी मिलने के बाद एपीसीआर राजस्थान की टीम चित्तौडगढ जिले के पहुंना गांव पहुंची और वहां के स्थानीय लोगों एवं पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर सांप्रदायिक झगडे की पूरी जानकारी प्राप्त की एवं पहुंना गांव में सद्भाव को कायम करने की बात कही।
सांम्प्रदायिक दंगे के दौरान पुलिस ने मौके से 19 लोगों को गिरफ्तार किया था। जिसमें से 8 लोगों की सेशन कोर्ट में एडवोकेट आरिफ अली, एडवोकेट इमरान रंगरेज और एडवोकेट अबरार हुसैन ने एपीसीआर राजस्थान द्वारा निःशुल्क पैरवी की। जोधपुर हाईकोर्ट में 8 लोगों के लिए एपीसीआर राजस्थान द्वारा जोधपुर हाईकोर्ट के एडवोकेट उस्मान गनी ने निःशुल्क पैरवी की। लगभग 3 माह बाद आज दिनांक 20 मई 2024 को जोधपुर हाई कोर्ट ने 8 लोगों को जमानत पर रिहा किया है।
इस मौके पर एपीसीआर के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट सैयद सआदत अली ने एडवोकेटस एवं सभी सहयोगियों का जिसने इस प्रकरण में सहयोग किया उन सभी का आभार प्रकट किया और कहा कि एपीसीआर राजस्थान हमेशा पीडित और बेकसूर लोगों की सेवा में हमेशा तत्पर रहती है। और आगे भी एपीसीआर बेकसूर एवं पीड़ित लोगों की सेवा करती रहेगी।