क्राइस्टचर्च में मस्जिदों पर आतंकवादी हमला मानवता के विरुद्ध
न्यूज़ीलैंड में जुमा नमाज़ से पूर्व दो मस्जिदों में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे विश्व को स्तब्ध करके रख दिया है। इस हमले में मासूम बच्चों व महिलाओं सहित 49 लोग अब तक मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है।
इस हमले में मारे गए लोगों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करते हुए एसआईओ राष्ट्रीय अध्यक्ष लबीद शाफ़ी ने कहा कि यह एक बर्बरतापूर्ण हमला है तथा यह पूरी तरह मानवता के विरुद्ध है।
तत्काल जांच तथा अपराधियों को सख़्त सज़ा की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकार के हमले बढ़ते हुए इस्लामोफ़ोबिया को दर्शाते हैं।
वैश्विक स्तर पर इन हमलों के कारकों में शरणार्थियों से घृणा, ज्ञान एवं विवेक का अभाव बड़ा कारण है।
लबीद शाफ़ी ने यह भी कहा कि वैश्विक मीडिया भी इस्लामोफ़ोबिया फैलाने में नकारात्मक भूमिका अदा कर रहा है। 2017 में 16 हज़ार बाशिंदों पर ओटागो यूनिवर्सिटी की रिसर्च से सिद्ध होत है कि मीडिया की वजह से ग़लत छवि पेश करने की वजह से मुसलमानों के प्रति नकारात्मक रवैया पैदा हुआ है।
लबीद शाफ़ी ने मांग करते हुए कहा कि मीडिया के सिलसिले में तत्काल प्रभावी क़दम उठाए जाएं ताकि धर्म एवं समुदाय विशेष के लोगों के खिलाफ़ भड़काऊ एवं घृणात्मक सामग्री परोसने से मीडिया को रोका जा सके।
लबीद शाफ़ी ने दुख प्रकट करते हुए कहा कि शरणार्थियों को हिंसा व घृणा का शिकार बनाना अब एक वैश्विक ट्रेंड बन चुका है।
उन्होंने कहा कि “सरकारें अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए शरणार्थियों को आरोपित करती हैं”उन्होंने मांग करते हुए कहा कि “ऐसे समय में जबकि विश्व ग्लोबलाइज़ हो चुकी है, इस प्रथा को तत्काल लगाम दिया जाना चाहिए”
हमें विविधता को विकसित करना चाहिए तथा बहुलतावादी समाज में एक दूसरे की सेवाओं को स्वीकार करते हुए सहानुभूति व सद्भाव का प्रदर्शन करना चाहिए।