राजपूत नेता देवीसिंह भाटी ने भाजपा छोड़ी,जाट नेता कर्नल सोनाराम भी देंगे बड़ा झटका!

राजस्थान के जाट नेता कर्नल सोनाराम भाजपा छोड़ सकते है, तो राजपूत नेता देवीसिंह भाटी ने भाजपा छोड़ दी है।
अगले कुछ दिन आया राम-गया राम का यह खेल खूब चलेगा।


राजस्थान के दिग्गज राजपूत नेता व कोलायत से सात दफा विधायक रहे भाजपा नेता देवीसिंह भाटी ने आज भाजपा से त्याग पत्र देते हुये कहा कि उन्होने भाजपा के सभी जिम्मेदार नेताओं को कहा था कि बीकानेर से भाजपा सांसद व केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मेघालय ने हमेशा पार्टी के विधानसभा उम्मीदवारो को हराने की ही कोशिश की है। इसलिए इसबार बीकानेर से भाजपा मेघवाल को लोकसभा की टिकट ना दे। लेकिन उनको अब साफ लगने लगा है कि भाजपा के शीर्ष नेता उनकी बातो को नकारते हुये अर्जुन मेघवाल को उम्मीदवार बनाना लगभग तय कर चुके है। इसलिए अर्जुन मेघवाल की उम्मीदवारी के खिलाफ आज बीकानेर मे देवीसिंह भाटी ने भाजपा छोड़ने की घोषणा करते हुये अपना त्याग पत्र प्रदेश व राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेज दिया है।
राजस्थान के दिग्गज जाट नेता व 2014 मे कांग्रेस छोड़कर भाजपा मे शामिल होकर बाड़मेर से सांसद बनने वाले कर्नल सोनाराम के पिछले दिनो जोधपुर सर्किट हाऊस मे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने जाने के बाद से उनके भाजपा छोड़ वापिस कांग्रेस मे आने की चली अटकलो को आज तब ओर अधिक बल मिला जब बाड़मेर के पूर्व सांसद व मंत्री हरीश चोधरी ने कहा कि कर्नल सोनाराम फिर पुराने घर आते है तो उन्हें पुरा मान सम्मान मिलेगा। हरीश चोधरी ने सांसद सोनाराम को बडा जाट लीडर बताते हुये उनकी तारीफो के पूल बांधे है।
हालांकि बाडमेर के पूर्व सांसद मोजूदा समय मे बायतू से विधायक बन कर प्रदेश सरकार मे मंत्री होने के बाद पिछले दिनो राहुल गांधी से मिलकर बाड़मेर से लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। लेकिन हाल ही मे भाजपा नेता पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने मानवेंद्र सिंह के विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद वो हरीश चोधरी के मुकाबले लोकसभा टिकट पाने की दोड़ मे काफी आगे निकल चुके है। लेकिन अब जाकर मानवेंद्र के सामने सांसद कर्नल सोनाराम की वापसी की सम्भावनाओं का भारी पेच फंस चुका है।
भाजपा छोड़ने वाले दिग्गज राजपूत नेता देवीसिंह भाटी ने कांग्रेस पार्टी जोईन करने से आज मना किया है। पर उनके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गहरे मिठास भरे रिश्ते होने से उनके कुछ दिनो मे उठने वाले राजनीतिक कदमो पर सबकी निगाहें लगी हुई है। इसी तरह अशोक गहलोत व कर्नल सोनाराम के पहले खटास भरे रिश्ते होने के बावजूद इन दिनो मिठास मे बदल रहें है। सोनाराम ने अभी तक तो भाजपा छोड़ने के मामले मे अपना मुहं नही खोला है। फिर भी अगले कुछ दिनो मे देखना होगा कि सांसद सोनाराम का राजनीतिक कदम क्या होगा।

-।अशफाक कायमखानी।

(राजनीतिक विश्लेषक)

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