रिपोर्टे झूठी है
कोई सिरफुटव्वल झगड़ा नहीं।
बस ,सत्तारूढ़ पार्टी में नए अध्यक्ष के लिए स्वस्थ स्पर्धा है। सेवा का काम है। बहुत सारे लोग करना चाहते है।ये तो सत्तारूढ़ है।मीडिया कहेगा विपक्ष मे भी मारामारी है।लेकिन वहां भी सेवा करने की होड़ है।मीडिया को हमेशा गिलास आधा खाली दिखता है।सियासत तो घर फूक तमाशा है।त्याग है ,तपस्या है।
यह भारत है। कोई अस्पताल में भर्ती बेसहारा मरीजों की सेवा करता है।कोई भूखो को भोजन कराता है। कोई गरीब बच्चो को पढ़ाता है। कोई मूक जानवरो की सेवा करता है। कोई राजनीति के जरिये जनता की सेवा करता है। सेवा के कई रूप और प्रकार है।सब अपनी अपनी पसंद से सेवा कर रहे है।जयपुर में एम आई रोड पर श्री गुलाब सिंह धीरावत की टी स्टाल है।वे दशकों से सुबह सुबह भिखारियों को मुफ्त चाय पिलाते है। ये भी सेवा है।सियासत भी सेवा है।
कोई नेता माइंस चलाता है तो अपने लिए नहीं चलाता।खदान से कीमती पत्थर निकलते है। पत्थर से राष्ट्र निर्माण में मदद मिलती है।सड़के अर्थव्यवस्था की धमनी होती है।सड़क मार्ग ठीक होगा तो देश तरक्की करेगा। इसलिए टोल लगता है। अगर नेता की टोल में हिस्सेदारी है तो राष्ट्र निर्माण के लिए है।वे शिक्षण संस्था चलाते है। लेकिन खुद अपने कुलदीपक को विदेश में पढ़ाते है। ताकि आम अवाम के बच्चो के लिए यहाँ सीट खाली रहे।आम लोग तो अपने बच्चो से रोज मिल लेते है।मगर नेताओ को संतान से मिलने विदेश का दौरा करना पड़ता है।
पहले गृहणियों को चूल्हे से कितनी दिक्क्त होती थी।इसलिए नेताजी ने खुद एजेंसी ली और चूल्हा चौकी आसान कर दिया।ऐसे ही पेट्रोल पंप है।वे हरेक की मदद करते है।कोई अपराधी है तो क्या हुआ। नीति शास्त्र कहते है अपराधी से नहीं अपराध से फासला रखो। भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसलिए उनका फार्म हाउस है।
मीडिया को सेवा भाव का ये मर्म समझना चाहिए।सेवा त्याग है।बहुत कुछ त्यागना पड़ता है। कई बार ऊसुलो की भी बलि चढ़ानी पड़ती है।