।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
राजस्थान के विधानसभा चुनाव के नतीजों के अनुसार कांग्रेस अगर महागठबंधन के तहत समझोता करके लोकसभा चुनाव लड़ने मैदान मे उतरती है तो बडी जीत पा सकती है। अन्यथा कांग्रेस को वो जीत मिलना काफी मुश्किल होगा जिस जीत की केंद्र मे सरकार बनाने मे आवश्यकता है।
राजस्थान की कुछ सीटो पर कांग्रेस का बसपा व सपा से तालमेल अगर बैठ जाता है और कुछेक सीटो पर माकपा व रालोपा से गठबंधन हो जाये तो राजस्थान की सभी पच्चीस सीटो पर भाजपा को हराया जा सकता है। अन्यथा उक्त दलो के लोकसभा चुनाव लड़ने पर यह दल तो चुनाव नही जीत पायेगे लेकिन इनको मिलने वाले मतो मे से अधीकांश मत कांग्रेस उम्मीदवार के खाते मे से ही कटने वाले माने जाते है।
अलवर, करोली धोलपुर व भरतपुर मे बसपा व सपा का असर व उदयपुर व बांसवाड़ा मे भारतीय ट्राईबल पार्टी का असर कांग्रेस का खेल बीगाड़ने पर भाजपा को फायदा हो सकता है। तो बाडमेर, जोधपुर व नागौर मे रालोपा के असर से मत कटने पर कांग्रेस को नुकसान माना जाता है। सीकर, श्रीगंगानगर व बीकानेर मे माकपा वोट काटू साबित हो सकती है। कमोबेश कांग्रेस व भाजपा को छोड़कर यह सब बाकी दल अपने उम्मीदवार लोकसभा चुनाव मे उतारते है तो अधीकांश जगह कांग्रेस के ही मत कटना माना जा रहा है। जबकि विधानसभा चुनाव मे काफी कमजोर मानी जा रही भाजपा उतनी कमजोर रजल्ट के बाद निकली नही है। उदाहरण के तौर पर देखे तो सीकर लोकसभा क्षेत्र मे माकपा व रालोपा एक एक लाख मतो से अधिक मत लेकर गये है। जो इनको मिलने वाले सभी मत भाजपा के विरोधी मत माने जाते है। जो मत लोकसभा मे कांग्रेस को मिलते है तो वो काफी उपयोगी माने जाते है।
हाल ही मे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान मे हुये विधानसभा चुनावो मे मोदी का मुद्दा कम बल्कि स्थानीय मुख्यमंत्री का विरोध अधिक होने के बावजूद कही पर भी कांग्रेस दो तियाई बहुमत लाने के बजाय बहुमत के करीब पहुंची जरुर है। लेकिन लोकसभा चुनाव मोदी वर्सेज अन्य के मध्य होना तय माना जा रहा है। हां उक्त तीनो राज्यों मे सरकार बनने के कारण कांग्रेस का पलड़ा भारी जरुर रहेगा।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अच्छी सरकार चलाने वाले योद्धा के रुप मे जनता मे जाना जाता है। उनके सियासी दावपेंच के सामने बडे बडे सियासत दा बगले झांकने लगते है। आगामी लोकसभा चुनाव मे गहलोत की रणनीति व अन्य दलो से समझोता करने से राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने की राह आसान मानी जायेगी। मुख्यमंत्री गहलोत ने चालीस भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारियों के तबादले व सीएमओ मे लगाये राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की सूची देखकर लगता है कि एक अच्छा प्रशासनिक सिस्टम बनाकर जनहित की सरकार बनाने की तरफ इशारा नजर आ रहा है।