मुख्यमंत्री को मेघवाल पसन्द नहीं है !
राजस्थान में सत्तारूढ़ पार्टी में जब जब भी संगठनात्मक बदलाव की चर्चा चलती है ,तब तब केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का नाम मीडिया में उछाला जाता है ।
अभी भी जैसे ही प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी से इस्तीफा लिया गया तो नए अध्यक्ष के रूप में फिर से अर्जुन राम मेघवाल का नाम जोर शोर से उछाला गया ,एक बार तो लोगों को लग भी गया कि शायद उनकी ही ताजपोशी होगी ,लेकिन अब कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री नहीं चाहती है कि मेघवाल राज्य की राजनीति में आये ,इसलिए वो उनका विरोध कर रही है , पहले भी किया था ।
इससे साफ है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को मेघवाल पसन्द नहीं है , वैसे भी उन्हें कोई भी अनुसूचित जाति कम ही पसन्द है ,पर मेघवाल उन्हें सख्त नापसन्द है ,ऐसा करीबी सूत्र बताते है ,सच्चाई कुछ और भी हो सकती है ,शायद पसन्द भी हो या वाक़ई नापसन्द हो ।
ज्ञानीजन बताते है कि उन्हें कैलाश मेघवाल भी कुछ ख़ास पसन्द नहीं थे ,इसलिए किनारे पर लगा रखा था ,पर फिर समझौता हुआ, खनिज मंत्री भी बनाया ,लेकिन बाद में विधानसभा अध्यक्ष बना कर सक्रिय राजनीति से अलग थलग कर दिया ,ताकि कांटा नहीं बन सके ।
निहालचंद मेघवाल जब केंद्र में मंत्री बने ,तब सीएम पर पुत्र मोह हावी था, बाद में दुष्कर्म के आरोप के चलते वो पैदल किये गये ,मुख्यमंत्री ने कोई मदद नही की,ऐसा लोग कहते हैं ।
रामगंजमंडी की विधायक चंद्रकांता मेघवाल के साथ पुलिस ने मारपीट की ,उसमे कोई कार्यवाही नही की गई ,आरोपी पुलिसकर्मियों को उच्च स्तरीय समर्थन मिला ,विधायक मेघवाल को न्याय नहीं मिला ।
डांगावास में 5 मेघवाल निर्ममता से मार डाले गये , मुख्यमंत्री उनके आंसू पूंछने आज तक नहीं गई ,जबकि नेचुरल तरीके से होने वाली डेथ में भी संवेदना व्यक्त करने सीएम साहिबा जाती रहती है ,पर मेघवालों के नरसंहार पर चुप्पी साधे रही।
प्रतिभावान छात्रा डेल्टा मेघवाल के यौन शोषण और आत्महत्या के लिए मजबूर करने के मामले में महिला मुख्यमंत्री की टिप्पणी संवेदनहीनता की पराकाष्ठा ही कही जाएगी , मृतिका के चरित्र पर सवाल उठा कर पूरे समाज को शर्मसार किया गया ।
राज्य में 34 रिजर्व सीटों में से आधे विधायक मेघवाल जाति के है और वे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पार्टी भाजपा से आते है , उनका मंत्रिमंडल में कितना प्रतिनिधित्व है ,यह शोध का विषय है ।
मेघवाल विधायकों के प्रति मुख्यमंत्री जी का क्या व्यवहार है ? उनसे मिलती है ? उनकी बात मानती है ? क्या वो उनको ठीक से नामजद जानती भी हैं ?
जालोर ,जोधपुर और बाड़मेर जिले में 2 अप्रेल के भारतबन्द के मुकदमों में विशेष रूप से मेघवालों को फंसाने का लक्षित अभियान राजधानी से पुलिस को दिया गया है ,इससे भी मुख्यमंत्री के मेघवाल प्रेम की झलक तो मिल ही जाती है ।
इतिहास साक्षी है कि जब जब भी बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल का नाम प्रदेशाध्यक्ष के लिए चला ,तब तब मुख्यमंत्री उनके ख़िलाफ़ चट्टान की तरह खड़ी हो गई, पहले भी और अब भी ।
कोई कितना ही जोर लगा ले , अमित शाह से लेकर आरएसएस तक अपना पूरा दम लगा ले ,वसुंधरा राजे अर्जुन राम मेघवाल तो क्या किसी भी अनुसूचित जाति के व्यक्ति को प्रदेशाध्यक्ष नहीं बनने देगी ।
दरअसल मुख्यमंत्री महोदया को मेघवाल पसन्द ही नहीं है ..यह अलग बात है कि राजस्थान के मेघवालों को मुख्यमंत्रीजी बहुत पसंद है !
खैर , अपनी अपनी पसंद है ,हम क्या कर सकते हैं । वैसे भी केंद्रीय मंत्री मेघवाल को राज्य में इस डूबते हुए जहाज की कप्तानी करके हार का ठीकरा अपने सर पर क्यों फुड़वाना चाहिए ?
– भंवर मेघवंशी
( सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र पत्रकार )