By: Shaukat Ali sindhi
प्रेम-प्रकट का आचरण -विचरण प्रश्नोज्ञ है ??
आँखों की शरारत से दिल का काफ़िला लूट कर ले जाने वाली मलयालम फिल्मों की अभिनव अभिनेत्री ने सोशल मीडिया पर ऐसा आशियाना बनाया कि जिसकी छाया से सारा युवा महक़मा मोहब्बत की तरफदारी में झूम उठा ।
बेशक़ ! फिल्मांकन, चित्रांकन करना हर कलाकार, अदाकार का अधिकार है और साथ मे यह भी है कि यह अधिकार सीधा-सीधा समाज पर असर डाल जाता है जैसे प्रिया प्रकाश का आँख-मटक्का खेल !
खैर ! यह फ़िल्म प्रमाणित करना या नही करना यह सेन्सर बोर्ड तय करता है लेकिन इन सबसे परे जो यह दृश्य दर्शाया गया था वो जगह विधालय कक्ष तथा जहाँ से देश का शुक्रगुज़ार भविष्य तय होता हैं । क्या ?? यह प्रेम निवेदन का खेल विद्यार्थियों के लिए आदर्श है ! इससे बच्चे क्या सीखेंगे? बच्चों की पुनरावृत्ति करने की परिवृत्ति स्वाभाविक है ….
एक ख़ामोश मुस्कुराहट जो प्रौद्योगिकी के जमाने मे हक़ीक़त कुछ और ही बयाँ करती है …धन के आगोश में विद्यालय का उपयोग एक बेजान समाज और सरकार की ओर इशारा करता है ।
बहुत कुछ सीखना होगा सरकार व समाज को क्योंकि देश हरवक्त छेड़खानी और बर्बरता के रेप सुनता है और सहन भी करता आया है …चाहे वो किसी का ही नतीजा क्यों न हो लेकिन कुछ इस तरह के फिल्मांकन भी जिम्मेदारा हरकत के भागीदार है ।
यहां मैंने प्रेम को सिरे से ख़ारिज नही किया है ना ही इस अदाकारी को बल्कि प्रेम-प्रकट का आचरण -विचरण प्रश्नोज्ञ है । मैं रुढ़िवादी अंगारों का तरफ़दारी भी नही करता और न ही वर्तमान के आँख-मिचौली खेल का
सही है यह !!
समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई
कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता
‘प्रिया प्रकाश वरियर’आपको बधाई और शुभकामनाएं कि आपने काबिलियत को तरबतर कर दिया । खूब आगे बढ़ो !!