घोर निंदनीय
जालोर बार एसोसियशन भवन पर बाबा साहब अम्बेडकर भवन लिखने वाले ही उस नाम को पोत रहे है,क्या कारण रहा है यह में नहीं जानता लेकिन नाम पोतना घृणित है ।
छद्म मानिसकता क्या दर्शाती है?
अम्बेडकरजी की बदौलत आज के दौर में वकील संविधान को पढ़ कर अपनी आजीविका चला रहे है ओर वो ही वकील उनका नाम मिटा रहे है।
जब कानून को जाने वाले, मानने वाले और उसी से कमा कर खाने वाले ही कानून बनाने वाले के नाम को मिटाने पर तुले हों,तो ऐसे अपमानकारी वक़्त में एक इंक़लाब आना चाहिए ।
लिख कर पोतना निंदनीय है।
देश के संविधान निर्माता का नाम पोतकर घृणित कार्य किया हैं।
अम्बेड़करजी का नाम रख लेने में क्या तकलीफ थी जो!
हर भारतीयों के लिये देश के प्रत्येक महापुरुष उच्च आदर्श हैं,उन्हें हृदय से सम्मान देना हमारा मूल कृतव्यों में से एक हैं। फिर??
यह क्या हो रहा हैं?या लिखते नहीं,लिख दिया भी था तो मिटाकर अपमानित क्यूँ किया जा रहा हैं? ठीक नहीं किया।