-माजिद मजाज़
कादर खान साहब ने पद्म पुरस्कारों पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा था कि “ये अच्छा हैं कि उन्होंने मुझे अवार्ड नहीं दिया, मैंने अपनी जिंदगी में कभी किसी की चापलूसी नहीं की और ना ही कभी करूँगा। यदि वो इस समय ये अवार्ड उन लोगो को दे रहे हैं तो मैं यह अवार्ड नहीं चाहता.”
अनुपम खेर को जब पद्म भूषण अवार्ड के लिए नामांकित किया गया था तब कादर खान ने कहा था कि अनुपम खेर ने सिवाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चापलूसी करने के अलावा अब तक किया ही क्या है? मैंने सरकार के फैसले का विरोध नहीं कर रहा लेकिन मैं सिर्फ ये जानना चाहता हूँ कि ऐसी कौनसी बात हैं जो मुझमे नहीं हैं।
कादर खान की शख़्सियत इतनी बड़ी है कि कोई भी पद्म पुरस्कार इनके सामने छोटा पड़ जाएगा। बॉलीवुड से लेकर समाज को इन्होंने जितना कुछ दिया है उतना हर किसी के बस की नहीं। अपनी लेखनी के ज़रिए, अपने अभिनय के ज़रिए बरसों लोगों के दिलों पर हुकूमत किए हैं। सैकड़ों फ़िल्मों में कभी बाप बनकर, कभी भाई बनकर, कभी विलेन बनकर, कभी कामेडियन बनकर, गरचे कि मुख़्तलिफ़ किरदार में ढलकर ज़िंदगी की तल्ख़ हक़ीक़त को परदे पे उतारा है।
ऐसे महान शख़्स को कोई भी राष्ट्रीय पुरस्कार ना दिया जाना उस राष्ट्रीय पुरस्कार को ही कटघरे में खड़ा करता है, ऐसे तमाम पद्म पुरस्कारों के अस्तित्व पर सवालिया निशान लगाता है।
ख़ैर आज कादर खान हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनका काम उन्हें हमेशा के लिए अमर कर दिया। वे हमेशा अवाम के दिलों पर राज करते रहेंगे। बाक़ी एवार्ड का क्या है वो तो मुनव्वर राणा ने बहुत पहले ही इस शेर के ज़रिए इसकी हक़ीक़त को बयान कर दिया था।
“हुकूमत मुँह-भराई के हुनर से ख़ूब वाक़िफ़ है
ये हर कुत्ते के आगे शाही टुकड़ा डाल देती है।”
कादर ख़ान जी को ऐसा कहने से पहले सोचना चाहिए कि उनको विदेशी (अफगानी) होते हुए भी क्या नहीं दिया देश ने?
और; लोग अक्षय कुमार की कनाडा में रहने की बुराई करते हैं लेकिन कादर ख़ान ने भी अपनी १६९ crore की asset Canada bhej Kar apneyअपने son key saath रहने लगे थे