कल जब वो चिलचिलाती तेज धूप में हमें पानी पिला रहे थे ,तब आप हमें दौड़ा दौड़ा कर मार रहे थे!

हम आपके है कौन ?

जब आप हमारे लोगों पर बाड़मेर ,सांचोर ,रानीवाड़ा में लाठियां बरसा रहे थे ,तब वो टोंक , भीलवाडा और आसींद में फूल बरसा रहे थे …!

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वो तो मूर्तिभंजक है , फिर भी उन्होंने आज तक अम्बेडकर की कोई प्रतिमा नहीं तोड़ी ,आप मूर्तिपूजक है ,फिर भी जगह जगह बाबा साहब की मूर्तियां तोड़ रहे है ?

हम घोड़े पर चढ़ जाएं तो आप हमें मार डालते हैं , हम हेण्डपम्प पर पानी पी लें तो आप हमारा हलक चीर देते है, हम बोलते है तो आप हमारी जुबान खींच लेते है ,हम मंदिर प्रवेश करते है तो आपकी देव मूर्तियां नाराज हो जाती है !

उनके उपासना स्थल में हमारे प्रवेश पर कोई रोक नहीं है ,उनके पीर पैगम्बरों को हमसे कोई तकलीफ नहीं है !

फिर भी हम आपके है ,आपके धर्म के चौथे पायदान पर रहने को तैयार है .हम आपके देवी देवता पूजते है ,अछूत की तरह रहना हमें मंजूर है ,आप तो जानवरो का मूत्र पी जाते है ,पर हमारे हाथ का पानी तक नहीं पीते ,बिल्ली के साथ बैठकर खाना खा लेते हैं ,हमारा छुआ खाना आपको अपवित्र कर देता है ।आपके घर मे कुत्ते घुस सकते है पर हम नहीं ! अच्छी बात है कि आप जानवरों से प्यार करते है ,पर हमको जानवरो से भी कमतर तो नहीं मानो ,इतना ही तो कह रहे हैं हम !

हम आपको कहते है कि हम आपके ही है और आप हैं कि हमसे पूंछते हैं कि हम आपके हैं कौन ?

आप सारी जमीन पर काबिज रहेंगे ,सारी दुकानें आपकी होगी ,मार्किट आपका ,मंदिर आपके ,बड़े बड़े बंगले आपके ,अदालत में आप है ,मीडिया आपका है ,सारे संसाधन आपके है ,यहां तक कि हम भी आपके लिये उपयोग में आने वाली वस्तु भर है ।

फिर भी आप चाहते हैं कि हम हिन्दू हिन्दू भाई भाई का गाना गायें ,आप हमको अपमानित करते रहो ,पीटते रहो, मारते रहो, कुछ भी करते रहो ,यह आपका विशेषाधिकार है ..इसलिए कल जब आप हमारी रैली रोक रहे थे ,हमारे लोगों को गोलियां मार रहे थे ..तो हमने सहन कर लिया …और कर भी क्या सकते है ?

उन विधर्मियों के प्यार को अस्वीकार करते हुये हम आपकी नफ़रत को स्वीकारते है ,हमें मालूम है कि आपके डीएनए में हमारे लिए सिर्फ और सिर्फ नफरत ही है ,बस यही है आपका आप होना और हमारा हम होना।

आप बस मारते रहिये …हम है ना मरने को …!

– भंवर मेघवंशी
( सामाजिक कार्यकर्ता )

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