सरकारें आती जाती रहती हैं, कभी सत्ता इनके हाथ में तो कभी उनके हाथ में। पर इतिहास उनका होता है जो जनता के बीच रहकर संघर्ष करते हैं, एसी कमरों को छोड़कर खेत-खलिहान-सड़क पर जनहित के मुद्दों को लेकर लड़ते रहते हैं।
इतिहास उन्हें ही याद रखता है जो फ़ासिस्ट ताक़तों के सामने खुलकर बोलने की हिम्मत रखते हैं। समाज के हीरो भी यही लोग हैं।
हाँ तो वो हीरो है तेजस्वी यादव, जिसने इतनी कम उम्र में राजनीति के तमाम शूरमाओं को उनकी औक़ात याद दिला दिया, जो सामन्तवाद के ख़िलाफ़ बिना डरे उनका नाम लेकर सम्बोधित करता है। फ़ासिस्ट ताक़तों की हर एक हरकत पर उनका खुलकर मुक़ाबला करता है। जो दलित-पिछड़े एवं अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर हमेशा सत्ता को ललकारता है, जो सरकारी मशीनरी से नहीं डरता है। जिसने अकेले अपने दम पर बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया है एवं देश की राजनीति पर अपना ज़बरदस्त हस्तक्षेप दर्ज किया है।
समाजवाद का अगर कोई संघर्षील सिपाही है तो वो तेजस्वी यादव है। अखिलेश यादव को तेजस्वी से सीखने की ज़रूरत है। क्योंकि अखिलेश सिर्फ़ अपने पिता की विरासत पर ज़िंदा हैं पर तेजस्वी ने अपनी पहचान ख़ुद बनाई है।
– माजिद मजाज़
( सबाल्टर्न चिंतक, साउथ एशिया )