व्हीलचेयर पर पड़ा असहाय सा शरीर इतना कुछ कर गया कि हष्ट पुष्ट जीवित आदमी भी नही सोच पाए । स्टीफन हॉकिंग 21 वर्षीय वो लड़का जो घुड़सवारी और नौका चलाने जैसे शौक रखता था अचानक पता चलता है की उसे मोटर न्यूरॉन डिसीज़ नामक बीमारी है और अब वह इस दुनिया मे कुछ दिनों का महमान है लेकिन हिम्मत नही हारी, अपने लक्ष्यों पर निगाहें जमाएं रखी चाहे हाथ पैरो ने काम करना बंद कर दिया हो लेकिन दिमाग और भी तेज हो गया।
8 जनवरी 1942 को ऑक्सफ़ोर्ड में जन्मे स्टीफ़न हॉकिंग 76 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को छोड़ कर चले गए लेकिन जो उन्होंने मानवता को दिया वो अहसान कभी नही चुका पाएगे उन्होंने ब्लैक होल, बिग बैंग थ्योरी और सापेक्षता के सिद्धांत को समझाने में अहम भूमिका निभाई थी । कैंब्रिज से पी एच डी करने वाले हॉकिंग की 1988 में एक किताब ए ब्रीफ़ हिस्टरी ऑफ़ टाइम की एक करोड़ से भी ज्यादा प्रीति बिकी । 2014 में उनपर द थ्योरी ऑफ़ एवरीथिंग फ़िल्म बनी ।
हॉकिंग ने समझाया कि किस तरह ब्लैकहोल बनते है और उनमें होता क्या है । आइंस्टीन की थ्योरी को उन्होंने नए आयाम दिए । उनके बारे में लोग लिखते थे कि हॉकिंग अंतरिक्ष के रहस्यों से खेलते है लगता था जैसे उन्हें अंतरिक्ष से प्यार था ।
आज जब भौतिक विज्ञान जगत अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्मदिन मनाने की तैयारी कर रहा था तो स्टीफ़न हॉकिंग की मौत की खबर ने सब को ग़मगीन कर दिया 45 साल तक मौत को हराते रहे हॉकिंग को अंत मे दुनिया को अलविदा कहना पड़ा 1961 से जब डॉक्टरों ने सिर्फ 2 – 3 साल का जीवन बताया था तबसे अब तक वो दुनिया के लिए प्रेरणा बने रहे ।
2014 में जब हॉकिंग फ़ेसबुक से जुड़े तो उन्होंने लोगो से जिज्ञासु बनने की अपील की और 8 दिसंबर 2017 को अपनी आखरी पोस्ट में उन्होंने डॉक्टर कोलिन को NHS के आधारभूत अधिकारों को बचाने के लिए सहयोग करने की बात कही इस तरह इस सदी की एक और महान शख़्सियत हमारे बीच नही रही लेकिन जाते जाते हमे अपने आप से लड़ते रहने की शिक्षा दे गए ।