चेहरे की उर्मियां
मुँह पे झुर्रि
हाथ में छुरी
पैर में दुरी
केवल गलियारें से जाते
हँसते, गाते और अपनी बतियाते
एक बहन-एक भाई
पीछे-पीछे उनकी पड़ोसन आई
पड़ोसन ने पूछा कहाँ जा रहे हों भाई
बहन ने भाई को देखा
भाई ने बहन को देखा
बात समझ न आई
कहाँ की झुर्रि
कहाँ की छुरी
तेरी मुस्कुराहटों में जागता है।
मेरी प्यारी सुबहों का लाल सूरज,
तेरी मुस्कुराहटों में ढलता है।
मेरी प्यारी शामो का सूरज
मोती मिलेंगे तुझे -ये प्यारे बच्चे
तेरी परिस्थिति गलत समय में क्या कर लेगी,
अपनें हाथो में कील चुभोकर
आइये रोज खुशनुमा जिंदगी जीए
जरा प्याला भर दूसरों के दर्द का
अमृत पीऐं।
-हरेन्द्र कुमावत
स्नातकोत्तर छात्र, हिंदी विभाग
राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय, अजमेर