5 महीने से नरेगा में नहीं मिला काम, बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान होने के बावजूद भत्ता भी शुरू नहीं

जयपुर। राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन से जुड़े मजदूरों 400 मजदूरों ने महात्मा गांधी नरेगा में ग्राम पंचायत बदनोर में दिनांक 12.06.2024 को काम के लिए आवेदन किया तब से लेकर आज तक ग्राम पंचायत द्वारा मजदूरों को महात्मा गाँधी नरेगा में काम नहीं दिया गया है। विदित है कि महात्मा गांधी नरेगा अधिनियम की धारा 7(1) के अनुसार काम नहीं मिलने पर बेरोजगारी भत्ता दिया जाना होता है, जिसके लिए राज्य में नियम भी बनाए जा चुके हैं। 

यूनियन एवं मजदूरों के द्वारा दिनांक 14.08.2024 को बेरोजगारी भत्ते का आवेदन विकास अधिकारी पंचायत समिति बदनोर जिला ब्यावर को किया जिस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। उसके बाद यूनियन और मजदूरों की ओर से मौखिक तौर पर पंचायत समिति और ग्राम पंचायत में बेरोजगारी भत्ता एवं काम दिए जाने को लेकर बात की। दिनांक 12.11.2024 को विकास अधिकारी पंचायत समिति बदनोर को पुनः स्मरण पत्र और बेरोजगारी भत्ते के लिए पत्र लिखकर मांग की गई उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की है।

जब 150 दिन से अधिक दिन होने के बावजूद काम नहीं मिला तो 19 नवंबर को राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन की ओर से पंचायत समिति बदनोर के बाहर एक दिवसीय धरना दिया गया और सभी 400 मजदूरों का तुरंत बेरोजगारी भत्ता शुरू किये जाने की मांग की.

 विकास अधिकारी पंचायत समिति बदनोर ने धरने पर पहुँच काम एवं बेरोजगारी भत्ता शुरू किये जाने का दिया आश्वासन।

यूनियन की ओर से चल रहे धरने में शुरू में तो विकास अधिकारी ने कहा कि वह फील्ड में गए हुए हैं लेकिन कुछ देर बाद वह पंचायत समिति पहुंचे तो उनके सामने मजदूरों ने निम्न मांगें रखी:

जिन 400 मजदूरों ने काम के लिए आवेदन 12.06.2024 को किया था उन सभी का बेरोजगारी भत्ता शुरू किए जाने का आदेश आज ही जारी करें।

150 दिन का बेरोजगारी भत्ता कितना बनता है अभी तक वह सभी मजदूरों को बताया जाए और उसे उनके खाते में भेजने की कार्यवाही शुरू की जाए।

जिन कर्मचारियों और अधिकारियों ने काम नहीं दिया है, उन्होंने महात्मा गांधी नरेगा कानून का उल्लंघन किया है इसलिए उनके खिलाफ विभागीय नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। 

उपर्युक्त मांगों पर विकास अधिकारी ने जल्द नरेगा में काम दिए जाने एवं बेरोजगारी भत्ता शुरू करवाए जाने का आश्वासन दिया।

राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के मुकेश निर्वासित ने बताया कि नरेगा में राजस्थान में काम ही नहीं मिल रहा है जहां पर लोग वास्तव में काम करना चाहते हैं। और बहुत सी ऐसी जगह हैं जहां बिना काम के ही मिलीभगत कर पैसे दिए जा रहे हैं।

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