मोहब्बत की जबां कही जाने वाली उर्दू का प्रदेश के सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में हाल बदहाल है।आज भी प्रदेश के कई राजकीय विद्यालय व महाविद्यालयों में उर्दू विषय नहीं है। जिनमें उर्दू विषय है उनमें से कई विद्यालयों व महाविद्यालयों में उर्दू विषय के शिक्षक नहीं है।
राजकीय महाविद्यालयों में उर्दू विषय आचार्य के कई पद रिक्त है। सरकार की अनदेखी के चलते प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में सहायक आचार्य उर्दू के 20 से अधिक पद वर्तमान में खाली है। फिर भी महाविद्यालय शिक्षा निदेशालय ने केवल 5 ही पदों के लिए अनुरोध भेज है।
“कॉलेज शिक्षा निदेशालय द्वारा पिछले वर्ष 6 अप्रैल 2018 को कॉलेज शिक्षा में 29 विषयों के लिए 830 पदों पर सहायक आचार्यों की भर्ती का अनुरोध किया गया था,उसमे भी उर्दू के केवल 5 ही पद थे”
आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा से प्राप्त जानकारी अनुसार राज्य के सरकारी कॉलेजों में सहायक आचार्य व सह आचार्य के 48 पद सृजित है। इनमें से 11 पद रिक्त है।
हाल ही में राज्य सरकार ने सहायक आचार्य उर्दू के 7 नए पद सृजित किए है। कॉलेज शिक्षा निदेशालय द्वारा पिछले वर्ष 6 अप्रैल 2018 को कॉलेज शिक्षा में 29 विषयों के लिए 830 पदों पर सहायक आचार्यों की भर्ती का अनुरोध किया गया था,उसमे भी उर्दू के केवल 5 ही पद थे।
सरकार की इस भेदभाव पूर्ण नीति पर सिर्फ यह कहा जा सकता है जो एक शायर ने कहा है कि
अपनी उर्दू तो मोहब्बत की जबां थी प्यारे
अब सियासत ने उसे जोड़ दिया मजहब से।
– सदा अंबालवी
उर्दू शिक्षक एवं लेक्चरर्स संघ के एक प्रतिनिधि मंडल ने उर्दू विषय से सम्बन्धित विभिन्न मांगी को लेकर मुख्यमंत्री से मुलाकात की।
राजस्थान उर्दू शिक्षक एवं लेक्चरर्स संघ के एक उच्चस्तरीय डेलिगेशन ने संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ शमशाद के नेतृत्व में 3 सितंबर 2019 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनके निवास स्थान पर मुलाकात कर प्रदेश में उर्दू विषय की स्थिति के सम्बन्ध में विभिन्न मांगे की।
इस अवसर पर उर्दू लेक्चरर्स संघ के प्रतिनिधियों ने कॉलेज और स्कूल शिक्षा में नवीन उर्दू पदों का सृजन करने,उर्दू के समस्त रिक्त पदों को भर्ती करने, मदरसा पैरा टीचर्स को स्थायी करने और स्टाफिंग पैटर्न को सुधारते हुए उर्दू के समाप्त हुए उर्दू पदों की पुनः बहाली करने की मांग की।