APCR की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर दुकानदारों का नाम लिखने पर लगाई रोक

एपीसीआर की याचिका से अंतरिम राहत, सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों के लिए सरकारी निर्देशों पर रोक लगाई।

नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के हालिया निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी है। इन निर्देशों में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने दुकानों के बाहर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया था।

यह आदेश एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स (एपीसीआर) द्वारा दायर याचिका के जवाब में आया, जिसका शीर्षक था एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स (एपीसीआर) बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य (रिट पेटिशन (सी) 463/2024)। जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने इस अंतरिम आदेश को जारी करते हुए सरकारी निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी किए।

वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह, अधिवक्ता फौज़िया शकील, और अधिवक्ता ऑन रिकॉर्ड (एओआर) उज्जवल सिंह एपीसीआर के लिए पेश हुए।

एपीसीआर के राष्ट्रीय सचिव नदीम खान ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करता है, जिसे व्यापार मालिकों के अधिकारों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। संगठन का मानना है कि ऐसे निर्देश न केवल व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन करते हैं बल्कि साम्प्रदायिक तनाव को भी बढ़ा सकते हैं। एपीसीआर नागरिक स्वतंत्रताओं की रक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है और ऐसे नीतियों की वकालत जारी रखेगा जो सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों का सम्मान और संरक्षण करती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ियां यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को मालिकों के नाम लिखने के लिए कहने वाले सरकारी आदेश पर रोक लगा दी है।

कांवड़ियां यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को मालिकों के नाम लिखने के लिए कहने वाले उनके निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी किया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस भट्टी ने कहा कि मेरा भी अपना अनुभव है। केरल में एक शाकाहारी होटल था जो हिंदू का था, दूसरा मुस्लिम का था। मैं मुस्लिम वाले शाकाहारी होटल में जाता था। क्योंकि उसका मालिक दुबई से आया था और वह साफ सफाई के मामले में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड फॉलो करता था। केवल बताना हो कि भोजन वेज है या नॉन वेज।

अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से जवाब मांगा है और मामले की सुनवाई 26 जुलाई को तय की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि खाद्य विक्रेताओं को मालिकों और कर्मचारियों के नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.

एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के मानवाधिकार संगठन ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इसको लेकर संस्था ने एक याचिका दाखिल की, जिस पर आज सोमवार को सुनवाई की गई है।

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