बीते 7 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन(reservation in promotion)में आरक्षण को लेकर एक अहम फैसला सुनाया जिसके मुताबिक नौकरी में आरक्षण और प्रमोशन में आरक्षण दोनों मूलभूत अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने ST, SC समाज के लिए प्रमोशन में आरक्षण के उत्तराखंड हाइकोर्ट के साल 2012 में दिए फैसले को खारिज करते हुए अपना फैसला सुनाया।
फैसला आने के बाद देश भर से तमाम प्रतिक्रियाएं सामने आई जिसमें अधिकांश जानकार का यह कहना है कि यह फैसला संविधान द्वारा दिए गए आरक्षण के अधिकार पर सीधा हमला है।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से ही देश में तमाम दलित और नागरिक अधिकार संगठन अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं।
इसी कड़ी में राजधानी जयपुर में इस फैसले के खिलाफ और CAA,NRC, NPR के खिलाफ संयुक्त रूप से 23 फरवरी को राजस्थान यूनिवर्सिटी से अल्बर्ट हॉल तक का मार्च निकाला जाएगा जिसमें AIRSO, भीम आर्मी, API और CPI(ML) Liberation जैसे संगठन और कई सामाजिक कार्यकर्ता शामिल होंगे।
मार्च को लेकर AIRSO के रितांश आज़ाद ने बताया कि, “हमारे देश में पिछड़े तबकों को दिया गया आरक्षण कोई भीख नहीं है बल्कि उनके उत्थान के लिए संविधान द्वारा बनाई एक अहम व्यवस्था है”।
अपनी बात में आगे जोड़ते हुए आज़ाद कहते हैं कि, समय-समय पर चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों पार्टियों की सरकारों ने आरक्षण विरोधी मानसिकता दिखाई है। हम इसी को लेकर हमारा विरोध दर्ज करवा रहे हैं।