शुक्रवार को भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का राज्य सचिव और सीकर लोकसभा सांसद अमराराम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उदयपुर लोकसभा से भाजपा सांसद डॉ. मन्ना लाल रावत को गिरफ्तार करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का राज्य सचिव मंडल पार्टी के दिवंगत महासचिव कामरेड सीताराम येचुरी के बारे में अपनी फेसबुक पोस्ट में तथ्यात्मक रूप से गलत और साम्प्रदायिक तथा अपमानजनक टिप्पणी करने पर उदयपुर से भाजपा सांसद डॉ. मन्ना लाल रावत की कड़ी निंदा करते हुए उनकी तुरन्त गिरफ्तारी की मांग करता है।
उन्होंने बताया कि 12 सितम्बर, 2024 को ही बीमारी के बाद कॉमरेड सीताराम येचुरी का देहान्त हुआ है। येचुरी देश में ही नहीं पूरी दुनिया में एक सम्मानित वाम नेता के रूप में जाने जाते हैं। इनके निधन पर अन्य राजनीतिक दलों के नेतृत्वकारी साथियों के साथ-साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी नड्डा भी उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित करने माकपा कार्यालय ए.के.जी भवन, दिल्ली में आए थे। विचारधारात्मक रूप से धुर विरोधी होते हुए भी स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्वीट कर कामरेड सीताराम येचुरी के निधन पर शोक व्यक्त किया और श्रद्धाजंलि अर्पित की। लेकिन अत्यन्त दुःख और शर्म की बात है कि अभी तक भाजपा ने उदयपुर से अपने सांसद डॉ. मन्ना लाल रावत द्वारा कामरेड सीताराम के बारे में उनकी मृत्यु के बाद की गई झूठी और अभद्र फेसबुक पोस्ट के लिए उन पर कोई कार्यवाही नहीं की यहां तक की उनकी इस पोस्ट की निंदा भी नहीं की है।
डॉ. मन्ना लाल रावत ने अपनी फेसबुक पोस्ट में कामरेड सीताराम येचुरी द्वारा ईसाई धर्म मानने, पत्नि सीमा चिश्ती से शादि के बाद इस्लाम धर्म अपनाने, वामपंथियों के हिन्दू विरोधी होने, हिन्दुओं को भ्रमित करने जैसी अनाप-शनाप साम्प्रदायिक नफरत फैलाने वाली बातें कही है।
माकपा मांग करती है कि ऐसा व्यक्ति सांसद रहने योग्य नहीं है। उसके खिलाफ तुरन्त प्रभाव से एफ.आई.आर दर्ज कर गिरफ्तार किया जाए और उसकी संसद की सदस्यता भी रद्द की जाए।
इससे पहले सोमवार को शिराली भवन में हुई पत्रकार वार्ता में माकपा शहर सचिव हीरालाल सालवी ने बताया कि मन्नालाल रावत अपनी फेसबुक पोस्ट में सीताराम द्वारा ईसाई धर्म मानने, पत्नी सीमा चिश्ती से शादी के बाद इस्लाम धर्म अपनाने, वामपंथी के हिंदु विरोधी होने, हिंदुओं को भ्रमित करने जैसी अनाप – शनाप साम्प्रदायिक नफरत फैलाने में लगे है। सीताराम येचुरी की बेटी का नाम अखिला है, जबकि सांसद ने जानबूझकर अकीला लिखा है।
माकपा जिला सचिव राजेश सिंघवी ने सांसद रावत के खिलाफ कानूनी कारवाई के लिए पुलिस थाना सुरजपोल में रिपोर्ट दी है। सिंघवी ने कहा कि डॉ. मन्नालाल रावत, सीताराम येचुरी, परिवार और माकपा पर झुठी, तथ्यात्यक गलत फेसबुक पोस्ट कर, धर्म के नाम पर लोगों को भड़का रहे है।
उन्होंने बताया कि सीताराम येचुरी का जन्म तेलगु ब्राह्मण परिवार में 1952 में हुआ था, जबकि माकपा के सदस्य के रूप में 23 वर्ष की उम्र 1975 में शामिल हुए थे। सीताराम येचुरी माकपा में शामिल होने के बाद किसी भी धार्मिक आयोजन, सम्मेलन, में शामिल नहीं हुए। सीताराम ने अपने वक्तव्य, लेखन, भाषण और व्यवहार में प्रत्येक व्यक्ति, समूह की धार्मिक भावना का सम्मान दिया है। सीताराम येचुरी के बेटे आशीष येचुरी का कोरोना में निधन हुआ था। सीताराम येचुरी की पत्नी सीमा चिश्ती के माता – पिता ने अंर्तधार्मिक शादी की। सीमा चिश्ती देश की प्रसिद्ध महिला पत्रकार है, जिसने महत्वपूर्ण मुद्दों पर जीवंत पत्रकारिता की है। देश की संसद द्वारा सीताराम येचुरी को 2017 में सर्वश्रेष्ठ सांसद से सम्मानित किया गया है।
ऐसे में भाजपा उदयपुर सांसद डॉ मन्नालाल रावत, अपने समर्थकों को धार्मिक नफरत में झोंककर माकपा नेताओं के प्रति हिंसा और नफरत फैलाने की साजिश रच रहे है।सिंघवी ने कहा कि मोदी राज में भाजपा का पार्षद से मंत्री तक बनने की एक ही योग्यता बची है कि कोई नेता कितना साम्प्रदायिक और नफरती भाषा बोल सकता है।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी – लेनिनवादी) राज्य सचिव शंकरलाल चौधरी ने कहां कि धर्म प्रत्येक व्यक्ति की व्यक्तिगत आस्था है, भाजपा ठेकेदार नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 25 में कहा गया है कि लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्य तथा इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, सभी व्यक्तियों को अंत:करण की स्वतंत्रता का और धर्म को अभाव रुप से मानने ,आचरण करने और प्रचार करने का समान हक होगा। लेकिन भाजपा सांसद लगातार संवैधानिक बाध्यताओं का उल्लंघन कर,संविधान का अपमान कर रहे है। सबसे दुःखद बात तो यह है कि भाजपा नेता और राज्यपाल बनने के बाद भी उदयपुर घुमते रहने वाले गुलाबचंद कटारिया चुप है। भाजपा स्पष्ट करें कि सांसद की पोस्ट पर भाजपा की क्या राय है।
भाकपा जिला सह सचिव हिम्मत चांगवाल ने कहां कि वामपंथी दल, , धर्मनिरपेक्षता और प्रत्येक व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करते है। सीताराम येचुरी स्वयं नास्तिक व्यक्ति थे। फिर भी सीताराम का स्पष्ट मत था कि धर्म एक आत्मा और परमात्मा के बीच पवित्र सबंध है,उसे किसी मध्यस्थ की जरुरत नही है। वो परमात्मा कौन होगा, यह सिर्फ आत्मा को तय करने का अधिकार है। वो परमात्मा हिंदु, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध, जैन कोई भी हो सकता है। जब एक आत्मा तय कर लेती है तो किसी को भी हक नहीं है कि उसमें हस्तक्षेप करें। राज्य और धर्म के बीच में संविधान ने लक्ष्मण रेखा तय की है, जिसको किसी को भी पार करने का अधिकार नहीं है।
माकपा जिला सचिव मंडल सदस्य राव गुमान सिंह ने कहा कि भाजपा सांसद का लगातार व्यवहार संविधान विरोधी साबित हो रहा है। सीताराम येचुरी के परिवार पर टिप्पणी हो या आदिवासियों पर हो, लगातार अल्पसंख्यक विरोधी बयान देना ही इनका काम है। साम्प्रदायिक नफरत फैलाकर समाज में भाईचारे और एकता को तोड़ने में लगे है। इसके खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष को पत्र भेजकर सदस्यता रद्द करने की मांग की जाएगी।