शहीद रशीद काठात के कब्र पर बरसे फूलों का रंग फीका भी नहीं पड़ा होगा और एक बार फिर मगरे में परवेज काठात s/o श्री मांगू काठात के शहीद होने की खबर पूरे मगरे क्षेत्र में शोक और दुख की लहर डाल दी!
ज़रूर परवेज का परिवार व उसके तमाम रिश्तेदार, उसका गांव व उसका पूरा समाज, उस माँ बाप का आज रो रो कर क्या हाल होता होगा जिनका बुढ़ापे में सहारा चला गया!
उस पत्नि का क्या हाल होता जिसका सुहाग उजड़ गया, उन बच्चों का रो रोकर क्या हाल होता होगा जो आजसे यतीम हो गये, उन बहनों व रिश्तेदारों का आज रो रोकर क्या हाल होता कि जिन्हें परवेज के घर आने पर तरह तरह की ज्वैलरी व सामानों का इंतज़ार रहता था आज वही परवेज एक तिरंगे में लिपट कर आयेगा!
गम का ऐसा मंज़र है कि हर किसी के आंसू निकल पड़ेंगे, हर कोई फफक पड़ेगा, लेकिन फिर भी हम तमाम को अल्लाह की वो सबरे जमील सिर्फ एक वजह से हिम्मत दे देती है कि मेरा भाई, मेरा रिश्तेदार, मेरा जवाई, मेरा बेटा मेरा लाल इस दुनिया से भले ही चला गया लेकिन उसने इस मादरे वतन की हिफाज़त में अपनी आहुति देकर मेरा ही नहीं बल्कि इस पूरी चीता मेहरात कौम का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया!
इस कौम ने ऐसे कितने ही शहीद हमारे मादरे वतन को दिये हैं और देती रहेगी, परवेज के बड़े भाई इक़बाल काठात भी जम्मू कश्मीर मे ड्यूटी पर इनके चाचा लतीफ़ काठात भी आर्मी मे है ऐसे शहीदो को इस कौम की राजस्थान चीता मेहरात महासभा उसे कभी भूलने भी न देती है बल्कि इन्हीं शहीदों की याद में हर साल युवा दिवस समारोह मनाकर शहीदों की यादों को ताजा करती रहती है!
लेकिन अफसोस कि सरकारें इन शहादतों को वो अहमियत और दर्जा नहीं देती है जितना देना चाहिये, यह कौम लम्बे समय से आर्मी कोटे को लेकर संघर्ष कर रही है लेकिन उसपर सरकारें कोई एक्शन नहीं लेती है, पिछली बार शहीद रशीद काठात l के जनाजे का हाल तो यह था कि सरकार का कोई मंत्री सन्तरी भी नहीं पहुंचा था!
इसीलिए निवेदन करता हु की सरकार व सरकार के मन्त्रालयों को इस कौम व शहीद के दर्द को समझे और इस जनाजे में शरीक होकर कौम के दर्द समझे व 2006 से काठात समाज की जो आर्मी भर्ती बंद है उस आर्मी भर्ती के लिये सार्थक ऐलान करके जाये
-अब्दुल रज्जाक काठात
(इस आर्टिकल में लिखी सभी बातें लेखक के निजी विचार हैं)
वीडियो देखें: