नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में लगातार राष्ट्रव्यापी आंदोलन चल रहे हैं। जहां इस आंदोलन की शुरुआत दिल्ली के शाहीन बाग से हुई थी वहीं अब ये आंदोलन शाहीन बाग की तरह पूरे देश में फैल गया है।
देश के अलग अलग राज्यों में शाहीन बाग के नाम से धरना स्थल बनाए गए हैं जहां लोग नागरिकता कानून का विरोध दर्ज करा रहे हैं।
इसी तरह का धरना स्थल राजस्थान के सवाईमाधोपुर में बनाया गया जो शहर के गुलाब बाग इलाके में मौजूद है,यहां लोग लगातार 50 दिन से इस कानून के विरोध में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
आसपास के गांवों से यहां लोग आते हैं और नागरिकता कानून के विरोध में सरकार से अपनी मांगों को सुनने की गुहार करते हैं।
बीती रात सवाई माधोपुर के इस शाहीन बाग में कुछ लोगों ने आग लगा दी और इस आग के रहते पूरा टेंट धधक कर जल गया,वहां मौजूद लोगों ने किसी तरह आग पर काबू पाया,कुछ अज्ञात लोगों की इस हरकत के बाद पूरे इलाके में रोष व्याप्त है।
मौके पर पुलिस के बड़े अधिकारी भी पहुंच गए हैं। सीसीटीवी फुटेज के ज़रिए आग लगाने वाले लोगों की पहचान का प्रयास किया जा रहा है।
लेकिन इस तरह की हरकत हमारे बीच कुछ सवाल छोड़ जाती है कि आखिर विरोध करने की संवैधानिक आज़ादी से किसी को क्यों दिक्कत होती है ? नफ़रतें इतनी चरम सीमा पर क्यों पहुंच गई है कि इस तरह की हरकतें बहुत आसानी से कर दी जाती हैं ? क्या टेंट में आग लगा देने से विचार खत्म हो जाएंगे ?
भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है जहां संविधान ने सभी को बराबरी का दर्जा दिया है हक अधिकार दिया है तो हमें चाहिए कि अपने अधिकारों के साथ दूसरों के अधिकारों का भी सम्मान करें।
सवाईमाधोपुर के शाहीन बाग में लगी आग के बाद वहां के लोग पुलिस के द्वारा उचित कार्यवाही की मांग कर रहे हैं और पुलिस बड़ी संख्या में वहां सम्भव प्रयास कर रही है।