राजस्थान में पिछले दो महीने से चल रही कांग्रेस की अंदरूनी सियासी रस्साकशी अब थमती नज़र आ रही है.
सचिन पायलट का राहुल गांधी प्रियंका गांधी और अहमद पटेल से मिलने के बाद पहली बार मीडिया के सामने मुख़ातिब हुए हैं .
पायलट ने कहा कि “पिछले कुछ समय से कुछ विधायक दिल्ली में थे, कुछ ऐसे मुद्दे थे जिन पर हम प्रकाश डालना चाहते थे। मैंने वह किया। मैं शुरू से कह रहा हूं कि ये सभी चीजें सिद्धांत पर आधारित थीं। मुझे हमेशा लगा कि पार्टी के हित में इन चीजों को उठाना जरूरी है!
सचिन पायलट की राहुल-प्रियंका और वेणुगोपाल से मुलाकात
इससे पहले राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान के बीच बड़ा अपडेट सामने आया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सचिन पायलट की राहुल गांधी-प्रियंका गांधी और केसी वेणुगोपाल से मुलाकात हुई है. इस दौरान चारों के बीच करीब दो घंटे तक चर्चा हुई. मुलाकात के बाद राहुल और प्रियंका सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे. उसके बाद अब राहुल-सोनिया और प्रियंका के बीच मुलाकात जारी है।
तीन सदस्यीय कमेटी बनाने की कही गई बात
मिली जानकारी के अनुसार इस दौरान तीन सदस्यीय कमेटी बनाने की बात कही गई है. ऐसे में तीनों सदस्य पूरे मामले पर विचार विमर्श करने के बाद ही विधायकों की वापसी पर फैसला लेंगे। फिलहाल सचिन पायलट की बातों को नहीं माना गया है. शायद यह मीटिंग बहुत कामयाब नहीं रही. आलाकमान पायलट की मूल मांग मानने के मूड में नहीं है. आलाकमान ने राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन से साफ इनकार किया है. ऐसे में अब आखिर कैसे होगी पायलट और बागियों की सम्मानजनक घर वापसी? फिलहाल किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा है. शायद आज रात तक कुछ स्थिति स्पष्ट हो जाए।
एक बार फिर उम्मीद जताई जा रही
बता दें कि 14 अगस्त से ही राजस्थान में विधानसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है, इस पर सचिन पायलट गुट ने सत्र में शामिल होने के संकेत दे दिए थे. ऐसे में अब प्रियंका और राहुल गांधी से मुलाकात के बाद एक बार फिर उम्मीद जताई जा रही है कि सचिन पायलट अपनी नाराजगी भूलकर पार्टी में वापस आएंगे. पहले भी प्रियंका गांधी वाड्रा ने सचिन पायलट से कई बार फोन पर बात की थी और उन्होंने मसला सुलझाने का प्रयास किया था।
इससे पहले सोमवार को ही ये बात सामने आई थी कि राजस्थान में गहलोत गुट के विधायकों ने मांग की है कि बागी विधायकों पर एक्शन होना चाहिए, जिसपर सीएम गहलोत ने फैसला आलाकमान पर छोड़ने की बात कही थी. साथ ही कहा था कि इस बारे में सबको आलाकमान का फैसला मानना चाहिए।