छात्रों का किराया माफ करवाने की मुहिम तेज, RU महासचिव ने हाइकोर्ट में दाखिल की याचिका


कोरोना के संकट से अब कोई भी ऐसा तबका नहीं है जो अछूता रहा हो, लेकिन मजदूरों, बेरोजगार युवाओं पर कोरोना महामारी जैसे कोई कहर बनकर ही टूटा है। राज्य और केंद्र सरकारें लॉकडाउन के साथ-साथ तमान प्रयास कर रही है लेकिन वो भी नाकाफी दिखाई पड़ते हैं।

ऐसे में हाल में राजस्थान यूनिवर्सिटी के वर्तमान महासचिव महावीर गुर्जर ने राजस्थान हाईकोर्ट में ग्रामीण परिवेश से आने वाले छात्रों की तमाम समस्याओं को लेकर एक जनहित याचिका दायर की है।

याचिका में उल्लेख किया गया है कि कोरोना महामारी की वजह से ग्रामीण परिवेश से आने वाले छात्रों को कई विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है, जिसके कारण कुछ छात्रों के अभिभावक शहर में रहने वाले अपने बच्चों के कमरों का किराया देने में असमर्थ हैं तो कुछ विभिन्न कोचिंगों की फीस वहन नहीं कर पा रहे हैं।

प्रतीकात्मक फोटो

हालांकि राज्य की गहलोत सरकार ने बिजली बिलों व बैंक की किश्तों को जमा करवाने में सहूलियत दी है लेकिन छात्रों और बेरोजगार युवाओं के लिए कोई विशेष घोषणा अभी तक नहीं की गई है।

वहीं याचिका में आगे मकान मालिकों द्वारा कई बच्चों से अनावश्यक दबाव बनाकर किराया वसूले जाने की भी घटनाओं का जिक्र है।

गुर्जर ने हाईकोर्ट के जरिए सरकार से अपील की है कि इस मुश्किल दौर में राज्य सरकार जल्द कोई ऐसी स्पष्ट गाइडलाइन तय करें जिससे संबंधित मकान मालिक, हॉस्टल संचालक एवं कोचिंग वालों की बच्चों पर होने वाली प्रताड़ना रोकी जा सकें।

 

जनमानस राजस्थान से बात करते हुए याचिकाकर्ता महावीर गुर्जर कहते हैं कि, हमनें राज्य सरकार से मांग की है कि वो छात्रों के हित में जल्द से जल्द कोई अधिकारिक घोषणा करें, कई छात्रों से बात करने पर मैंने पाया कि सरकार की तरफ से की गई अपील उतनी कारगर साबित नहीं हो रही है।

वहीं इसके अलावा राजस्थान के कई जिलों में कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में हजारों स्टूडेंट्स शहरी इलाकों में घर से दूर फंसे हुए हैं जो घर नहीं जा सकें या कुछ जाना नहीं चाहते थे, ऐसे में मकान मालिकों द्वारा अब उन पर किराया देने की घटनाएं सामने आ रही है, जिसके बाद कुछ युवा ‘नो रूम रेंट’ नाम से ट्विटर पर पिछले कई दिनों से मुहिम भी चला रहे हैं, जिसमें वो गहलोत सरकार से उनके कमरे का किराया माफ करवाने की अपील कर रहे हैं।

गौरतलब है कि हाल में चलाया गया यह अभियान ट्विटर पर टॉप ट्रेंडिंग में भी रहा लेकिन इसके बावजूद सरकार की तरफ से अभी तक कोई घोषणा नहीं की गई है।

PIL आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

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