हाल ही में सम्पन्न हुये विधानसभा चुनाव मे पहले के मुकाबले आरक्षित सीट के अलावा जनरल सीट से आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के अच्छी तादाद मे जीतने के उपरांत लोकसभा चुनाव मे कांग्रेस पार्टी के जनरल सीट से दो उम्मीदवार आरक्षित वर्ग से चुनावी मैदान में उतारने के बाद कुल पच्चीस लोकसभा सीटो में से अब तक उन्नीस उम्मीदवारों की जारी सूची में एससी एसटी के उम्मीदवारो की तादाद कम से कम नो होना तय हो चुका है।
राजस्थान में कुल पच्चीस लोकसभा सीट में से एससी एसटी वर्ग के लिये कुल सात सीट आरक्षित होने के बावजूद कांग्रेस ने टोंक-सवाईमाधोपुर से नमोनारायण मीणा व कोटा सीट से रामनारायण मीणा को जनरल सीट से उम्मीदवार बनाकर एक नया पासा फेंककर चुनाव जीतने का प्रयास किया है।
दो महिने पहले सम्पन्न हुये राजस्थान विधानसभा चुनावों मे आरक्षित वर्ग के अनेक नेताओं के जनरल सीट से चुनाव लड़कर विधायक बनने के बाद से ही लगने लगा था कि कांग्रेस अबकी दफा लोकसभा चुनाव मे आरक्षित वर्ग को अधिक सीटो पर उम्मीदवार बना सकती है।
2018 के विधानसभा चुनाव मे जनरल सीट से आरक्षित वर्ग के नेताओं के चुनाव लड़कर विधायक बनने वालो मे कांग्रेस की तरफ से पीपलदा से रामनारायण मीणा, दौसा से मुरारी मीणा, देवली-उनीयारा से हरीश मीणा व जैसलमेर से रुपाराम मेघवाल है। जबकि भाजपा की तरफ से जनरल सीट जहाजपुर से गोपीचन्द मीणा विधायक बने है। भाजपा-कांग्रेस के अलावा निर्दलीय तौर पर जनरल सीट से आरक्षित वर्ग के नेताओं के विधायक बनने वालो में महुआ से ओम प्रकाश हूड़ला (मीणा), थानागाजी से कांति मीणा व गंगापुर सीटी से रामकेश मीणा भी जनरल सीट से चुनाव जीत कर विधायक बने है। यानि कुल दो सौ सीट मे से 59-विधायक आरक्षित सीट से व 8- विधायक जनरल सीट से जीतकर विधायक बनने के बाद कुल 67-विधायक आरक्षित वर्ग से ताल्लुक रखने वाले है।
कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान मे बीटीपी से गठबंधन नही होने के बाद उसको ढंग से काऊंटर करने के लिये एवं मौजूदा विधानसभा मे सात मीणा विधायकों के जनरल सीटो से चुनाव लड़कर विधायक बनने का फायदा उठाने के खातिर कांग्रेस ने रामनारायण मीणा को कोटा से व नमोनारायण मीणा को टोंक-सवाईमाधोपुर जैसी जनरल सीट से लोकसभा उम्मीदवार बनाया है।
-अशफ़ाक़ कायमखानी
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)