जयपुर | 24 जनवरी 2020 सी एए एनआरसी, एनपीआर विरोधी जन-आंदोलन (संविधान-लोकतंत्र बचाओ अभियान) द्वारा सीएए को रद्द करने तथा एनआरसी व एनपीआर प्रक्रिया को रोकने की मांग को ले कर संयोजक सवाई सिंह के नेतृत्व में आज “राजभवन मार्च” का आयोजन किया गया।
रेली में भारी संख्या में महिलाओं पुरुषों ने भाग लिया। राजभवन पहुँच कर इक्कीस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की जगह ग्यारह सदस्यीय प्रतिनधिमण्डल से मिलने की मंजूरी दी गई, उसके बाद अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल प्रतिनिधिमंडल से नहीं मिलेंगे आप ए डी सी को ज्ञापन दे दें।
उसके बाद सिर्फ दो व्यक्तियों से ज्ञापन लिया गया। इस पर प्रतिनिधि मण्डल ने नाराजगी व्यक्त की तथा राज्यपाल द्वारा जन-प्रतिनिधियों का अपमान बताया।
कार्यक्रम की जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी बसन्त हरियाणा ने बताया की रैली से पूर्व एम आई रोड स्थित शहीद स्मारक पर सभा का आयोजन किया गया। सभा को पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा सहित विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने संम्बोधित किया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपने भाषण में कहा कि सीएए, एनआरसी, एनपीआर पूरे तौर पर असंवैधानिक हैं। उन्होंने कहा कि आज मौजूदा समय मे केंद्र की भाजपा सरकार व उसके सहयोगी संगठनों द्वारा गांधी जी की दुबारा हत्या की साजिश की जा रही है जिसे देश के संविधान और इंसानियत में विश्वास रखने वाले कतई सहन नही करेंगे।
इस अवसर पर सीएए, एनआरसी, एनपीआर विरोधी जन आंदोलन के संयोजक सवाई सिंह ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार देश को हिन्दू मुसलमान के नाम पर बांटना चाहती है। जमाअते इस्लामी हिन्द के प्रदेशाध्यक्ष मोहम्मद नाज़िमुद्दीन ने इस अवसर पर कहा कि देश की बड़ी आबादी को सीएए, एनआरसी, एनपीआर जैसे संविधान विरोधी कानून दोयम दर्जे के नागरिक बनाने के उद्देश्य से लाए गए हैं, जिन्हें देश की आम जनता कभी भी स्वीकार नहीं करेगी।
एसडीपीआई के प्रदेशाध्यक्ष रिज़वान ख़ान ने कहा कि देश की जनता इन काले क़ानूनों को कभी बर्दाश्त नहीं करेगी और जब तक यह कानून वापस नहीं हो जाते लड़ाई जारी रहेगी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य नेता सुमित्रा चौपड़ा ने कहा कि शाहीन बाग से लेकर देशभर में जिस प्रकार इन संविधान और मानवता विरोधी कानूनों का विरोध हो रहा है उससे यह स्पष्ट है कि यह सरकार आम जनता के बीच अपना विश्वास खो चुकी है। पीएफआई के प्रदेशाध्यक्ष मोहम्मद आसिफ़ ने भी इस अवसर पर कहा कि लड़ाई दिन पर दिन तेज की जाएगी।
राजस्थान जाट महासभा के प्रदेशाध्यक्ष राजाराम मील ने भी इन कानूनों की आलोचना करते हुए कहा कि यह देश को संविधान से नही मनुस्मृति से चलाने की दिशा में उठाया गया कदम है। दलित मुस्लिम एकता मंच के अध्यक्ष अब्दुल लतीफ़ आरको ने इन कानूनों को ना केवल मुसलमान विरोधी बल्कि दलित विरोधी भी बताया। जमियत उलेमा ए हिन्द के हाफिज मंज़ूर अली ख़ान ने भी इन क़ानूनों को मुस्लिम व दलित विरोधी बताया।
सभा को एनएफआई डब्लू की राज्य महासचिव निशा सिद्धू ने भी देशभर में जो महिलाओं द्वारा जो आंदोलन इन काले क़ानूनों के ख़िलाफ़ हो रहा है तथा उन महिलाओं के ख़िलाफ़ जिस अभद्र भाषा का प्रयोग भाजपा के ज़िम्मेदार नेताओं द्वारा किया जा रहा वह भी उनकी घृणित मानसिकता को दर्शाता है।
पीयूसीएल की कविता श्रीवास्तव ने भी इन कानूनों की आलोचना करते हुए कहा कि देश के सभी धर्मों व समुदायों के नागरिक इस लड़ाई को लड़ कर सफल बनाएंगे। राजस्थान नागरिक मंच के आर सी शर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा नित नए के क़ानूनों का लाना जनता की बुनियादी समस्याओं से ध्यान हटाने की साजिश है।
इस अवसर पर मिल्ली काउंसिल के अब्दुल क़य्यूम अख़्तर, पिंकसिटी हज वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष अब्दुल सलाम जौहर,एपीसीआर की रुख़साना उस्मान, वहदते इस्लामी हिन्द के मोहम्मद साजिद सहराई ने भी सम्बोधित किया। छात्र नेता असलम ने भी भाजपा सरकार को छात्र व महिला विरोधी बताते हुए इन कानूनों का विरोध किया।
इस अवसर पर एपीसीआर के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट पैकर फ़ारूक़, फादर विजय पाल सिंह, जमाअते इस्लामी हिन्दके प्रदेश महासचिव डॉक्टर मुहम्मद इक़बाल सिद्दीक़ी, एडवोकेट मुजाहिद नक़वी, शौकत क़ुरैशी, डॉ राममनोहर विचार संस्थान से फारुख खान, डॉ आंबेडकर वेलफेयर सोसायटी से अनिल गोठवाल, भीम सेना से जितेंद्र,दलित चिंतक मोहन बैरवा, कम्युनिस्ट (माले) नेता राहुल चौधरी,मंजू लता मानवाधिकार कार्यकर्ता मुज़म्मिल रिज़वी, सामाजिक कार्यकर्ता अनिल गोस्वामी, पवन देव, हाजी सईद अहमद, रुबीना अबरार, फिरोज़ुद्दीन, धर्मेंद्र तमड़िया, प्यारेलाल शकुन, महताराम काला,शेलेन्द्र अवस्थी, हेमेंद्र गर्ग,मानस, रितांश,आली,बप्पादित्या तथा शहर के कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। मंच का संचालन वक़ार अहमद और बसन्त हरियाणा ने किया।