केंद्र सरकार द्वारा लाए गए 3 कृषि कानून को वापिस लेने की मांग को लेकर 26 नवम्बर 2020 से दिल्ली के चारो और किसानों का धरना चल रहा है. सर्दी की वजह से अब तक करीब 70 से अधिक किसानो की इस आंदोलन में मौत हो चुकी है. इस सब के बावजूद अब तक सरकार और किसानों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई है. किसान अपनी एक ही मांग पर अड़े हुए हैं कि तीनों कृषि कानून सरकार वापस ले, इसलिए उच्चतम न्यायालय द्वारा किसान कानूनों पर गठित समिति को भी किसानों ने अस्वीकार कर दिया है और कमेटी के सामने पेश नहीं होने का निर्णय लिया है.
किसान आंदोलन के समर्थन में महिला किसानों ने 18 जनवरी 2021 को महिला किसान दिवस पर दिल्ली की सभी सरहदों – सिंघु, टिकरी, गाज़ीपुर, शाहजहांपुर, पलवल आदि पर महिलाओं को कूच करने का आह्वान किया था.
इस आह्वान के समर्थन में जयपुर के महिला संगठनों ने भी 17 जनवरी, 2021 को जयपुर शहर के अल्बर्ट हॉल म्यूजियम के सामने विरोध प्रदर्शन किया.
इस प्रदर्शन में नेशनल फेडरेशन ऑफ़ इंडियन वीमेन (NFIW), अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (AIDWA), अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला समिति (AIPWA), राजस्थान यूनिवर्सिटी महिला संस्था (RUWA), पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL), राजस्थान महिला कामगार यूनियन , विमिन विथ व्हील्स, नेशनल मुस्लिम वीमेन वेलफेयर सोसाइटी( NMWWS), महिला पुनर्वास समिति, विविधा: महिला आलेखन एवं संधर्भ केन्द्र, विशाखा शिक्षण एवं शोध समिति, समता ज्ञान विज्ञानं मंच, महिला पुनर्वास समूह समिति, दलित विमेंस फाइट आदि संगठन शामिल हुए.
इस प्रदर्शन में राजस्थान राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. पवन सुराना व लाड कुमारी जैन के नेतृत्व में 250 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया.
सीपीएम की सुमित्रा चोपडा ने बताया कि “50 दिन से दिल्ली के चारो ओर चल रहे 12 लाख से अधिक किसानों के धरने के समर्थन में अब महिलाऐं भी वहां पहुँच रही हैं. हम सबकी एक ही आवाज़ है कि जन विरोधी, किसान विरोधी तीनों कृषि कानून को मोदी सरकार वापिस ले.”
राजस्थान महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. लाड कुमारी जैन ने जनमानस से बात करते हुए कहा कि, ” यह बड़े अफसोस की बात है कि मोदी जी के नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार पूर्ण रूप से किसान आन्दोलन को अनदेखा कर रही है. सरकार की संवेदनहीनता इस कदर है कि की ठण्ड में 70 से अधिक किसानो की मौत हो जाने के बावजूद सरकार किसानों की मांगों को मानने के लिए राज़ी नहीं हो रही है.”
राजस्थान महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ पवन सुराना ने जनमानस से कहा कि, “महिला किसान सबसे ज्यादा बोझा अपने कंधे पर रख कर घर का, बच्चों का, पशुओं का और खेती – किसानी का काम करती है, इसीलिए इस महिला किसान दिवस को सफल बनाना होगा.”
सामाजिक कार्यकर्ता ममता जेटली ने जनमानस से कहा कि, जब किसानों की एक ही मांग है की तीनों कृषि कानून सरकार वापस ले तो सरकार बार बार कानून में संशोधन की बात क्यों कर रही है?
उन्होंने कहा कि राजस्थान का महिला आन्दोलन भी किसान आन्दोलन के साथ है.
समता ज्ञान मंच की कोमल श्रीवास्तव ने जनमानस से कहा कि यह लड़ाई सिर्फ किसानो की नहीं है, ये जनता के हित की लड़ाई है, लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है और खेती किसानी के बचाने की लड़ाई है, सभी को इस आंदोलन से जुड़ना चाहिए.
ऐडवा की कविता शर्मा ने जनमानस से कहा कि 18 जनवरी को महिला किसान दिवस पर दिल्ली की सरहदों – सिंघु, टिकरी, गाज़ीपुर, शाहजहांपुर, पलवल आदि पर महिलाओं को कूच करना है. किसान महिलाएं और मजदूर महिलाएं अगर आज साथ खड़ा नहीं होगी तो मजदूर को अपना राशन नहीं मिलेगा, यह किसानों और मजदूरों की लड़ाई है.
डॉ पुष्मेन्द्र कौर ने जनमानस को बताया कि, सिर्फ खेती के कॉरपोरेटीकरण का सवाल नहीं है, मोदी सरकार रेल, फ़ोन सेवा, बैंक सभी का निजीकरण कर देश को बर्बाद कर रही है.
महिलाओं के इस प्रदर्शन में नेशनल मुस्लिम वीमेन वेलफेयर सोसाइटी से निशात हुसैन, राजस्थान महिला कामगार यूनियन की बसना चक्रवर्ती, बगरू मजदूर यूनियन से सुमन, भट्टा बस्ती से सईदा, ऐपवा से शकुंतला, महिला नेत्री शबीना, NFIW की सुनीता, निशा सिधु, मेवा भारती, मंजुलता, कविता श्रीवास्तव आदि महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शिरकत की.
प्रदर्शन के अंत में किसान आंदोलन में अब तक जिन किसानों की मौत हुई है उन्हे दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजली भी दी गई.
जयपुर की महिला सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में 18 जनवरी को महिला किसान दिवस के अवसर पर शाहजहांपुर बॉर्डर पर भी पहुंची.
राजस्थान में कोटपुतली के शुक्लाबास से महिला किसानों का जत्था करीब 50 ट्रेक्टर को चलाते हुए शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंचा जिसको जयपुर से जा रही महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया.
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