कोरोना महामारी अपने साथ कई तरह की चुनौतियां लेकर आया है जिनमें से एक है इस दौरान अस्पतालों और क्वारंटीन सेंटरों से निकलने वाला कचरा। गौरतलब है कि कोविड-19 के किसी मरीज के इलाज में ट्रीटमेंट, डायग्नोसिस और क्वारंटीन के दौरान कई तरह की मेडिकल चीजों का इस्तेमाल किया जाता है।
इसी संबंध में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वेस्ट मैनेजमेंट (आई आई डबल्यू एम) के सहयोग से कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट फैसिलिटीज, कोविड अस्पतालों और कवारंटाइन सेंटर्स में कोविड कचरे के कारण उतपन्न परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए दिनांक 17 जून 2020 को एक ऑनलाइन ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया।
ट्रेनिंग में हेल्थ डिपार्टमेंट, कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट फेसिलिटिज एवं राजस्थान राज्य प्रदुषण नियंत्रण मंडल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ऑनलाइन ट्रेनिंग के उद्घाटन सेशन को संबोधित करते हुए राज्य मंडल के अध्यक्ष पवन कुमार गोयल ने कोविड-19 वेस्ट के वैज्ञानिक तरीके से सुरक्षित निस्तारण एवं इस संबंध में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों की पालना करने पर जोर दिया।
गौरतलब है कि वेस्ट एक्सपर्ट्स के एक अनुमान के मुताबिक, हर दिन किसी एक राज्य में औसतन एक से 1.5 टन कोविड का वेस्ट निकल रहा है। वहीं इस तरह के कचरे के उचित निस्तारण के लिए सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने गाइडलाइन्स भी जारी की है।
कोविड वेस्ट का निस्तारण सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 और बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स के तहत करने के आदेश दिए गये हैं।
इस ट्रेनिंग सेशन में आई आई डबल्यू एम की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पी. बिनीशा, बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट विशेषज्ञ सैयद फरीदउद्दीन एवं अन्य विषय विशेषज्ञों द्वारा कोविड-19 के संदर्भ में अस्पतालों में कचरे के निस्तारण को लेकर केंद्रीय प्रदूषण मंडल द्वारा जारी दिशा निर्देशों, पर्यावरण सेनेटाइजेशन, अस्पतालों एवं कॉमन बायोमेडिकल फेसिलिटीज में संक्रमण नियंत्रण, पीपीई की आवश्यकता एवं काम में लिए गए पीपीई किट के सुरक्षित निस्तारण एवं अस्पतालों से निकलने वाले गीले कचरे के प्रबंधन जैसे विषयों पर जानकारी दी गई।
सेशन के आखिर में राज्य मंडल के सदस्य सचिव डॉ विजय सिंघल ने बताया कि सत्र के दौरान मिली जानकारी बेहद उपयोगी रही और उन्होंने वहां मौजूद सभी लोगों से आग्रह किया वह इन जानकारियों को जल्द व्यवहार में लाएं ताकि कोविड-19 के खतरों से प्रभावी ढंग से निपटा जाए।