सत्ता ओर संगठन मे सामंजस्य बनाकर जनता के हित मे बेहतर से बेहतर कार्य कर साफ सुथरी सरकार का विकल्प पैश करने के लिये आल इण्डिया कांग्रेस कमेटी ने राजस्थान स्टेट के लिये 20-जनवरी को प्रभारी महामंत्री अविनाश पाण्डे की अध्यक्षता में कोर्डिनेशन कमेटी का गठन किया था।
जिस कमेटी की पहली बैठक 16-फरवरी को होने के बाद सम्भवतः अगली बैठक जुलाई की शुरुआत मे होने के बाद राजनीतिक नियुक्तियों का पिटारा खुलने की सम्भावना जताई जा रही है।
कार्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष प्रभारी महामंत्री अविनाश पाण्डे है। जबकि बतौर सदस्य मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट, हेमाराम चोधरी, महेंद्र जीत सिंह मालवीय, दीपेन्द्र सिंह शेखावत, मास्टर भवंरलाल मेघवाल व हरीश चोधरी का नाम शामिल है।
कोर्डिनेशन कमेटी की 16-फरवरी को मुख्यमंत्री निवास पर पहली बैठक मात्र ओपचारिक हो कर रह गई थी। उस बैठक मे दीपेन्द्र शेखावत पहुंच नही पाये थे।
कोर्डिनेशन कमेटी की जुलाई शुरुआत मे सम्भवतः होने वाली बैठक मे मुख्यमंत्री खेमा राजनीतिक नियुक्तियों पर मात्र ओपचारिक चर्चा करके मुख्यमंत्री को दिल्ली मे सोनिया गांधी से चर्चा के बाद नियुक्तियों का अधिकार देने की बात करने की कोशिश करेगा।
जबकि पायलट खेमा एक एक बोर्ड व निगम के होने वाले सम्भावित अध्यक्ष व सदस्यों के अतिरिक्त संवैधानिक नियुक्तियों पर भी पूरी चर्चा करने की ज़िदपर अड़ सकता है।
राजनीतिक सुत्र बताते है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने स्तर पर सभी तरह की राजनीतिक नियुक्तियों के सम्भावित चेहरो पर मंथन कर चुकने के बाद मोटा मोटी तोर पर दिल्ली स्थित हाईकमान से ऊपरी तोर पर रजामंदी करवा चुके है।
मुख्यमंत्री खेमे को जल्द प्रदेश अध्यक्ष चेंज होने की उम्मीद बताते है। वही कोर्डिनेशन कमेटी के बहाने बेठक मे किसा ना किसी रुप मे अपने पक्ष मे एक लाईन के प्रस्ताव के रुप मे फैसला करवा सकते है।
कुल मिलाकर यह है कि प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट राजनीतिक नियुक्तियों का फैसला अपने अन्य सदस्यो को साथ लेकर कोर्डिनेशन कमेटी की बैठक मे करवाने पर ज़ोर दे रहे बताते है।
वही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कार्डीनेशन कमेटी की बैठक मे ऊपरी तौर पर केवल चर्चा तक इसे सिमित रखना बताते है। वो सभी नियुक्तियों को दिल्ली की मंजूरी पर निर्भर रखना बताते है।
देखते है कि कौन कब कदम आगे बढाता है ओर कौन कब कदम पीछे खींचता है। यह सब कुछ कोर्डिनेशन कमेटी की बैठक होने के बाद ही बाहर निकल कर आयेगा।
–अशफ़ाक कायमखानी
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)