सरकार सूर्य नमस्कार का विश्व रिकॉर्ड बनाने की बजाए शिक्षा गुणवत्ता में रिकॉर्ड बनाएं : RMF

जयपुर। 30 जनवरी 2025 गुरूवार को राजस्थान मुस्लिम फोरम (RMF) द्वारा जयपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स करके आगामी 3 फरवरी 2025 को राजस्थान के सभी स्कूलों में सूर्य नमस्कार करवाने के आदेश का विरोध किया गया। प्रेस कॉन्फ्रेन्स को सम्बोधित करते हुए जमात ए इस्लामी हिन्द राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष और राजस्थान मुस्लिम फोरम के महासचिव मोहम्मद नाज़िमुद्दीन ने कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में व्यायाम का बहाना बनाकर शेक्षणिक संस्थानों में विशेष संस्कृति की मान्यताओं और कर्म कांडों को सरकारी तन्त्र द्वारा अन्य धर्म के लोगों पर थोपने की कोशिश की जा रही है, जो कि धार्मिक स्वतन्त्रता का खुला उल्लंघन व घृणित प्रयास है।

उन्होनें इसका विरोध किया कि राजस्थान सरकार के माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा समस्त माध्यमिक शिक्षा उपनिदेशकों तथा जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वह सूर्य सप्तमी के अवसर पर यह सुनिश्चित करें कि सभी सरकारी और निजी विद्यालयों में प्रार्थना सभा का समय 20 मिनट निर्धारित करके सूर्य नमस्कार करवाया जाए।

जमीअत उलमा-ए-हिन्द राजस्थान के उपाध्यक्ष हाफिज़ मन्जूर अली ने कहा हिन्दु समाज में सूर्य को भगवान और देवता के रूप में पूजा जाता है जिसमें कई श्लोकों के उच्चारण के साथ प्रणामासन्न, अष्टांग नमस्कार आदि क्रियाओं को इबादत समझ कर किया जाता है और इस्लाम धर्म में एक ईश्वर की ही इबादत जायज़ है और अन्य किसी की पूजा अस्वीकार्य है। इसलिए हम सरकार के इस फैसले का विरोध भी करते हैं और सरकार से अपील करते है कि वह उक्त आदेश को तुरन्त वापिस ले।

एस. डी. पी. आई. राजस्थान के उपाध्यक्ष डॉक्टर शहाबुद्दीन ने कहा कि भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है जिसके हर नागरिक को विचार, विश्वास, आस्था और पूजा की स्वतंत्रता प्राप्त है और वह अपनी पसंद का धर्म अपनाने, उसकी पालना करने और उसका प्रचार करने के लिये स्वतंत्र है। संविधान की धारा 25, 26, 28 के अनुसार किसी भी सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थान में किसी धर्म विशेष से सम्बंधित निर्देश नहीं दिये जा सकते और न ही ऐसे संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को किसी धार्मिक कार्य में सम्मिलित होने पर बाध्य किया जा सकता है। सूर्य नमस्कार का उक्त आदेश एकेश्वरवाद में विश्वास करने वाले लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है। अतः माध्यमिक शिक्षा निदेशालय का उपरोक्त आदेश पूर्ण रूप से संविधान द्वारा दिये गए मूल अधिकार का हनन है।

उन्होने सरकार का ध्यान इस ओर दिलाया कि केरल में बिजोय इमानुअल व अन्य V/S केरल राज्य एवं अन्य (AIR 1987 SC 748 [3]) में 11 अगस्त 1986 को एक महत्वपूर्ण फैसले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि किसी को भी राष्ट्रगान या कोई भी गीत गाने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार, मध्य प्रदेश, बिहार और गोवा की सरकारों ने सूर्य नमस्कार एवं सरस्वती वंदना आदि को स्कूलों में अनिवार्य करने का प्रयास किया था जिस पर उन राज्यों के उच्च न्यायालयों ने रोक लगा दी थी। राजस्थान सरकार का यह कदम भी इसी प्रकार का प्रयास है। हमारा मानना है कि राज्य सरकार के शिक्षा निदेशालय का यह आदेश पूर्ण रूप से संविधान विरोधी तथा राज्य के आपसी प्रेम एवं भाईचारे के वातावरण को नुकसान पहुँचाने वाला है। हमारा यह भी मानना है कि इस आदेश को लागू किया गया तो बच्चों के कोमल मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और उनमें धार्मिक आधार पर विभाजन की भावना पनपेगी।

मन्सूरी तेली महापंचायत के महासचिव अब्दुल लतीफ आरको ने कहा कि हम व्यायाम या वर्जिश करने के विरोध में नहीं है लेकिन स्कूलों में विशेष धर्म संस्कृति को बढ़ावा देने का हम विरोध करते हैं। सूर्य नमस्कार एक विशेष धर्म संस्कृति से जुड़ा हुआ है जिसमें सूर्य की पूजा करने के लिए कई योग आसन किए जाते हैं। यह इस्लाम धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है। स्कूलों में सभी धर्म समुदाय के बच्चे पढ़ते है, लेकिन सरकार एक विशेष धर्म संस्कृति को ही बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। यह भी ज्ञात रहे कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने पहले ही सूर्य नमस्कार को वैकल्पिक कर दिया था।

पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए मुहम्मद नाजिमुद्दीन ने कहा यह बात भी बहुत हास्यास्पद है कि जब राजस्थान सरकार एक साल पहले ही सूर्य नमस्कार का विश्व रिकॉर्ड बना चुकी है फिर भी शिक्षा में गुणवत्ता का रिकार्ड बनाने के बजाए सूर्य नमस्कार में विश्व रिकॉर्ड बनाने की होड़ में लगी है। अगर सरकार को रिकॉर्ड ही बनाना है तो शिक्षा के क्षेत्र में अव्वल रहने का रिकॉर्ड बनाएं, स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने का रिकॉर्ड बनाएं। आज भी राजस्थान के कई स्कूलों में पर्याप्त अध्यापक और अच्छी बिल्डिंग, पीने का साफ पानी, छात्र छात्राओं के लिए शौचालय, कक्षा में बैठने के लिए फर्नीचर जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार को शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए, न कि धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देने पर।

ऑल इंडिया मिल्ली कॉउन्सिल राजस्थान के सचिव मोहम्मद शौकत कुरेशी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

अन्त में सभी धार्मिक, सामाजिक, मानवाधिकार संगठनों से जुड़े लोगों ने सरकार से मांग की कि 3 फरवरी को स्कूलों में सूर्य नमस्कार का आयोजन करवाने के आदेश को तत्काल रद्द करे और सभी स्कूलों में धार्मिक तटस्थता बनाए रखे तथा सभी नागरिकों के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को सुनिश्चित करे ताकि संविधान की गरिमा को किसी प्रकार की ठेस न पहुँचे तथा प्रदेश में शान्ति, सद्भाव एवं भाईचारे का वातावरण बना रहे।

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