राजस्थान के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को जिस तरह से प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर जयपुर की एक होटल मे कांग्रेस के एक धड़े से संबंधित विधायको की बाड़ेबंदी मे अचानक लक्ष्मनगढ के विधायक गोविंद डोटासरा को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत धड़े द्वारा प्रदेश अध्यक्ष घोषित करवाने से लेकर आज तक डोटासरा के पद को लेकर प्रदेश मे असमंजस बरकरार है।
अचानक अध्यक्ष के नाम से मशहूर हो चुके डोटासरा की पिछले दिनो उस समय काफी किरकिरी होना देखने को मिली जब नवनियुक्त प्रदेश प्रभारी महामंत्री अजय माकन प्रभारी बनने के बाद पहली दफा पीसीसी दफ्तर फीडबैक लेने गए तो अनेक सीनियर नेताओं द्वारा फीडबैक स्थल पर डोटासरा की उपस्थिति पर सख्त एतराज जताने पर डोटासरा को स्थल छोड़कर बाहर जाना पड़ा।
अचानक प्रदेश अध्यक्ष बने डोटासरा ही अब तक के पहले अध्यक्ष है जिनके बनने पर अभी तक सोनिया गांधी, राहुल गाधी व प्रियंका गांधी का मुबारकबाद का ट्वीट तक नही आया है। वही अध्यक्ष बनने के बाद डोटासरा के पहली दफा अपने ग्रह नगर सीकर जाने पर हुआ उनका स्वागत भी फीका ही माना जा रहा है।
सरकार बनने के बाद से लेकर अब तक के घटते विभिन्न तरह के राजनीतिक घटनाक्रमों को देखते हुये राजस्थान मे गोविंद डोटासरा को अभी तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मानने को एक बडा राजनीतिक धड़ा कतई तैयार नजर नही आ रहा है। जबकि गहलोत खेमा उनको सर्वसम्मति से बना अध्यक्ष करार देने की हर मुमकिन कोशिश करने मे लगा हुवा है।
राष्ट्रीय महामंत्री अजय माकन के तीस अगस्त को प्रभारी के तौर पर पहली दफा जयपुर आने पर उनके सम्मान मे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा अपने सरकारी निवास पर भोज का आयोजन किया गया था। जिस भोज मे करीब 60-से 65 के विधायको के पहुंचने की सूचना है। उक्त भोज मे गोविंद डोटासरा के उपस्थित होने के बावजूद शिरकत करने वाले अधिकांश विधायक व सीनियर नेता उनसे कन्नी काटते रहे। जबकि इसके विपरीत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रभारी महामंत्री अजय माकन व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट से विधायको व नेताओं ने मिलने मे काफी रुची दिखाई ।
प्रभारी महामंत्री अजय माकन के तीस अगस्त को जयपुर आने के बाद अगले दिन 31-अगस्त को वो पीसीसी दफ्तर मे कांग्रेस पार्टी से वर्तमान समय मे जुड़े हुये पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व केन्द्रीय मंत्री, पूर्व विपक्ष नेता, पूर्व राज्यपाल व पूर्व विधानसभा अध्यक्षो से मिलकर फीडबैक लेने के समय वैसे तो चोधरी नारायण सिंह, गिरिजा व्यास व कमला बेनीवाल जैसे अनेक सीनियर नेता आये ही नही लेकिन जो नेता आये उनमे से भी अनेक नेताओं द्वारा माकन के साथ डोटासरा के फीडबैक स्थल पर उपस्थित रहने पर सख्त ऐतराज जताने पर अध्यक्ष डोटासरा को स्थल से उठकर बाहर जाना पड़ा था।
ऐतराज के बाद फीडबैक स्थल से डोटासरा के बाहर जाने को राजनीतिक तौर पर हल्के मे नही लिया जा सकता है।
राजनीतिक सूत्र तो बताते है कि माकन से पहले दिन तो काफी सीनियर कांग्रेस नेताओं का मिलना रहा था। उसके अगले दिन सम्भाग वार विधायको के मिलने का कार्यक्रम था जिसमे डोटासरा को लेकर काफी कुछ होने की सम्भावना थी लेकिन उस दिन से लेकर अगले दिनो के फीडबैक का कार्यक्रम पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के देहांत होने के बाद राष्ट्रीय शोक का कारण बताकर स्थगित कर दिया गया था। लेकिन उक्त कार्यक्रम के स्थगित करने को लेकर राजनीतिक हलको मे कारण कुछ अन्य ही बताये जा रहे है।
पिछले डेढ़ महीने राजस्थान में कांग्रेस सरकार को लेकर चले राजनीतिक घटनाक्रमों के बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट सहित उनके समर्थक विधायको के कांग्रेस हाईकमान गांधी परिवार से उनकी सकारात्मक वार्ता होने के बाद फिर से कांग्रेस मे एकजुटता होना बताया जा रहा है। लेकिन राजनीतिक हलको मे दोनो धड़ो मे पूरी तरह खरास समाप्त होना अभी भी बताया नही जा रहा है। पिछले दिनो विधायको का बहुमत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ साफ नजर आया लेकिन जनता पर पकड़ आज भी गहलोत के मुकाबले सचिन पायलट की अधिक होना माना जा रहा है।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के सात सितंबर के जन्म दिवस को उनके समर्थको द्वारा बडे स्तर पर मनाने की आ रही सूचनाओं ने प्रदेश की राजनीति मे फिर से हड़कंप मचा रखा है। उस दिन प्रदेश भर मे पायलट समर्थक करीब तीन सो जगह ब्लड डोनेशन केम्प का आयोजन करने जा रहे है। वही कुछ जगह अलग तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किये जाने की सम्भावना जताई जा रही है। अब तक सुचना के मुताबिक उक्त सभी कार्यक्रमों मे से किसी एक मे भी मुख्यमंत्री गहलोत व प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा मे से किसी को भी आमंत्रित नही किया गया है।
कुल मिलाकर यह है कि जयपुर की एक होटल मे एक पक्ष के विधायको की बाड़ेबंदी मे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तत्तकालीन प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को अध्यक्ष पद से हटवा कर गोविंद डोटासरा को अचानक अध्यक्ष बनवाने का ऐलान करवा लेने मे एक दफा जरुर सफल हो गये है। लेकिन डोटासरा के अध्यक्ष पद को लेकर प्रदेश भर मे आज भी असमंजस के हालात बने हुये है। जो अगले कुछ दिनो मे भंयकर रुप मे प्रदर्शित हो सकते है।
– अशफ़ाक कायमखानी