क्या अशोक गहलोत के मन में दिल्ली जाने की महत्वकांक्षा बढ़ती जा रही है !


यह एक अजीब संयोग था कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बीते शुक्रवार को एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, तब झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई। इस दौरान, गहलोत ने समय की नजाकत देखते हुए विधानसभा चुनाव जीतने के लिए “कोई प्रयास नहीं” करने के लिए महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस नेतृत्व को निशाने पर लिया। उन्होंने यह भी कहा कि कैसे कांग्रेस, अन्य विपक्षी दलों के साथ, मोदी सरकार के आर्थिक मंदी के खिलाफ मौजूदा जनता के मूड को उनके पक्ष में मोड़ देना चाहिए था।

गहलोत की टिप्पणी से यह साफ जाहिर होता है कि मुख्यमंत्री राष्ट्रीय राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं।

गहलोत ने दिसंबर 2017 से जनवरी 2019 तक अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) के महासचिव की जिम्मेदारी संभाली और 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस के अध्यक्ष बनने तक के चर्चे रहे। हालांकि, वह अप्रत्याशित रूप से 2018 में राज्य विधानसभा चुनावों से पहले राजस्थान की राजनीति में फिर लौट आए।

सचिन पायलट की मौजूदगी और थोड़े प्रभाव के कारण इस बार राजस्थान में मुखिया की कुर्सी हासिल करना गहलोत के लिए आसान नहीं था, लेकिन कुछ समय बाद गहलोत ने ही खुद को चुन ही लिया! इस साल की शुरुआत में राज्य बजट पेश करने के बाद गहलोत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, ‘मैं सीएम बनने का हकदार हूं।’ “यह स्पष्ट था कि किसे सीएम बनना चाहिए और किसे नहीं। जनता की भावना का सम्मान करते हुए, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुझे मौका दिया।

कई लोगों का मानना ​​है कि राजस्थान की सीएम के रूप में गहलोत की वापसी ने राष्ट्रीय राजनीति में उनका कद छोटा कर दिया है। राज्य में भी, गहलोत के लिए चीजें बहुत कम दिखाई देती हैं, क्योंकि पार्टी को लोकसभा चुनावों में शून्य और उनके अपने बेटे वैभव अपने क्षेत्र में जमानत भी नहीं बचा पाए।

हालांकि, गहलोत को लोकप्रिय रूप से ‘राजनीतिक जादूगर’ के रूप में जाना जाता है, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ हाल फिलहाल में नहीं किया। पार्टी की ओर से हर विषय पर बोलने का मौका हथियाने की उनकी हर नई कोशिश, उनकी महत्वाकांक्षा को इंगित करती है।

वहीं इसी कार्यक्रम में आगे बोलते हुए, उन्होंने कहा, “यह महसूस करते हुए कि पार्टी की जीत नहीं होगी, उन्होंने [महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस] विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कोई भी प्रयास करने से रोक दिए। पार्टी को अपनी पूरी ताकत और ऊर्जा के साथ चुनाव लड़ना चाहिए, न कि एक हारी हुई मानसिकता के साथ।”

गहलोत ने यह भी कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ पैदा हो रहे गुस्से को समझना चाहिए। लोग गिरती हुई अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन के कारण भड़के हुए हैं। हमें सड़कों पर उतरने में अब देर नहीं करनी चाहिए।

जब जनता अपना मूड बदलेगी, सड़कों पर उतरेगी तो नौकरशाह और एजेंसियां, वे समझेंगे कि बदलाव हो तो सकता है। फिलहाल देश एक दिशा में जा रहा है, न्यायपालिका को देखिए।, हमने कभी उम्मीद नहीं की थी कि न्यायपालिका इस तरह का व्यवहार करेगी, ”उन्होंने कहा।

झारखंड में पांच चरण के चुनावों पर भी बोले गहलोत

चुनाव आयोग ने हाल में झारखंड चुनाव की घोषणा की जिसमें बताया कि चुनाव पांच चरणों में होंगे। इस पर गहलोत बोले कि हरियाणा और महाराष्ट्र के साथ झारखंड के चुनाव क्यों नहीं हुए? और इतने छोटे राज्य में पांच चरण के चुनाव कराने के पीछे क्या तर्क है? चुनाव आयोग सही तरह से काम कर रहा है या नहीं, इस पर सवाल उठाने वाला कोई नहीं है। सभी संस्थान खत्म हो रहे हैं। योजना आयोग को ही देख लो।

इसके अलावा गहलोत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर “अतिरिक्त संवैधानिक अधिकार” के रूप में काम करने का आरोप लगाया, वो बोले, मंत्रियों और राज्यपालों को संघ द्वारा उनकी स्वीकृति के बाद नियुक्त किया जाता है, लेकिन मीडिया ऐसी महत्वपूर्ण नियुक्तियों में आरएसएस की भूमिका पर चुप है।

आपको बता दें कि हाल में गहलोत सरकार को शहरी स्थानीय निकायों में मेयर और चेयरपर्सन के पदों के लिए निर्वाचित सदस्यों को चुनाव लड़ने की अनुमति देने के निर्णय के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था। वहीं स्टेट हाइवे पर टोल फिर से शुरू करने पर भी गहलोत सरकार को घेरा गया।

(यह द वायर में छपे एक लेख का अनुवादित वर्जन है।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *