राजस्थान में बारां जिले की छबड़ा नगर पालिका ने 2013 में विधायक कोष से जिस भूखंड पर 10 लाख का निर्माण कार्य करवाया था अब उसी जगह पर निर्माण अवैध बताकर 3 दिन में हटाने का नोटिस जारी किया है। नगर पालिका छबड़ा द्वारा यह नोटिस शुक्रवार 2 अगस्त को दिया गया है।
दरअसल स्थानीय भाजपा विधायक प्रतापसिंह सिंघवी ने विधानसभा में इस भूखंड पर अवैध निर्माण का मामला उठाया तो विभाग हरकत में आ गया और बिना तथ्यों की जांच के आनन फानन में अवैध निर्माण का नोटिस जारी कर दिया। जबकि मुस्लिम छात्रावास को रियायती दर पर भूखण्ड आवंटन को लेकर पत्रावली निदेशालय में विचाराधीन है। इस भूखंड पर 2013 में तत्कालीन विधायक करणसिंह राठौड़ द्वारा विधायक कोष से 10 लाख की राशि स्वीकृत कर जिला परिषद के माध्यम से प्रशासनिक स्वीकृति जारी की गई थी जिसमें विधायक कोष की राशि से निर्माण के लिए कार्यकारी एजेंसी भी नगर पालिका को ही बनाया गया था।
नगर पालिका छबड़ा द्वारा छात्रावास में दस लाख रु. कि लागत से निर्माण कार्य दिनांक 30 दिसंबर 2013 को पूर्ण किया गया। अब ऐसे में सवाल उठता है कि अगर यह भूखंड आवंटन अवैध है तो नगरपालिका ने इस पर निर्माण कार्य क्यों करवाया? ऐसे में यह बड़ी हास्यास्पद बात है कि दिसंबर 2013 में जिस भूखंड पर नगर पालिका ने निर्माण कार्य करवाया था अब 2 अगस्त 2024 को उसे अवैध बता कर 3 दिन में हटाने का नोटिस जारी किया है।
लोगों का कहना है कि नगर पालिका ने यह निर्णय राजनीतिक दबाव में लिया है क्योंकि पहले नगर पालिका छबड़ा 3 बार बोर्ड मीटिंग में इस भूखंड को आवंटित करने का प्रस्ताव ले चुकी है। यही नहीं नगर पालिका द्वारा कई बार डीएलबी जयपुर को भी रियायती दर पर भूखंड आवंटन करने का प्रस्ताव भिजवाया गया है। छबड़ा नगर पालिका द्वारा पूर्व में अन्य कई समाजों को भी छात्रावास और धर्मशाला निर्माण के लिए रियायती दरों पर भूखंड आवंटित किए गए हैं। उन धर्मशालाओं और छात्रावासों में भी कई दुकानें बनी हुई है और उनका इस्तेमाल भी व्यवसायिक किया जा रहा है।
नगर पालिका से नोटिस मिलने के बाद मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी छबड़ा के एक प्रतिनिधी मण्डल ने ज़िला कलेक्टर बारां को ज्ञापन सौंप कर धरनावदा रोड पर खसरा न. 712 पर निर्मित मुस्लिम छात्रावास की पेमाईश करवाकर नियमानुसार राशी जमा कराकर नगर पालिका से पट्टा दिलाने तथा पट्टा जारी होने तक नगर पालिका को मुस्लिम छात्रावास के विरुद्ध कार्यवाही नहीं करने का आदेश दिए जाने की मांग की है।
मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी छबड़ा के अध्यक्ष शकील अहमद ने बताया कि शुक्रवार को जिस नगर पालिका द्वारा 3 दिन में अतिक्रमण हटाने का नोटिस दिया है उसी छबड़ा नगर पालिका द्वारा भूखंड आवंटन के लिए एक बार नहीं 3 बार प्रस्ताव लिया गया है। प्रथम प्रस्ताव 23 अप्रैल 2000 को, दूसरा प्रस्ताव 29 मई 2006 को और तीसरा प्रस्ताव 11 जनवरी 2010 को लिया गया। इसके लिए वरिष्ठ नगर कोटा द्वारा दिनांक 1 दिसंबर 2000 व 7 सितम्बर 2007 को योजना कि स्वीकृति प्रदान कि गयी। यही नहीं नगर पालिका में भूमि आवंटन के लिए 50 हजार रुपए भी जमा किए गए है और नगरिय विकास कर के रूप में 12 मार्च 2024 तक लगभग 44280 रु नगर पालिका में जमा कराए गए हैं।
शकील अहमद ने बताया कि नगर पालिका द्वारा भूमि आवंटन हेतु निदेशालय जयपुर को 11 अगस्त 2004, 12 जून 2001, 10 जून 2010 और 27 मई 2013 को वांछित तथ्यात्मक रिपोर्ट और अन्य समाजों को दी गयी भूमि का विवरण भी दिया गया है। जिला कलेक्टर कार्यालय के पत्र क्रमांक 1806 दिनांक 8 जून 2005 के द्वारा मुस्लिम छात्रावास हेतु भूमि आवंटन कि सुचना परिवादी को दी गयी। जिला कलेक्टर द्वारा दिनांक 31 मार्च 2010 को भूमि आवंटन हेतु प्रमुख शासन सचिव नगरिय विकास विभाग को पत्र लिखा गया है। नगर पालिका द्वारा जिला कलक्टर महोदय को 22 दिसंबर 2009 को भूमि आवंटन नोटिफिकेशन की कॉपी देकर भूमि आवंटन कि स्वीकृति चाही गयी है। स्वायत शासन विभाग के पत्र क्रमांक 5114 दिनांक 05 जुलाई 2023 को कारण बताओ नोटिस के जवाब में वांछित नवीनतम भू आवंटन निति 2015 के तहत 1 से 30 तक के बिन्दुओ कि पूर्ति कर नगरपालिका द्वारा दिनांक 11 अगस्त 2023 व 11 सितम्बर 2023 को सम्पूर्ण सूचनाये प्रेषित कर दी गयी है।
उन्होंने कहा कि इतना सब कुछ होने के बाद भी नगर पालिका द्वारा निर्माण को अवैध और अतिक्रमण बताते हुए 3 दिन में हटाने का आदेश देना गैर कानूनी और असंवैधानिक है। ऐसा लग रहा है कि नगर पालिका प्रशासन राजनीतिक दबाव में इस तरह की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही कर रहा है।
पूर्व विधायक करण सिंह राठौड़ ने भी प्रेस विज्ञप्ति जारी कर छबड़ा में मुसाफिरखाना की जमीन को लेकर नगर पालिका छबड़ा द्वारा नोटिस देकर की जा रही कार्यवाही की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि एक समुदाय विशेष को भाजपा के नेताओ द्वारा नगर पालिका के माध्यम से परेशान करने की रणनीति है। राठौड़ ने बताया कि किसी भी मुसाफिर खाना कोई एक व्यक्ति की संस्था नहीं है यह सारे मुस्लिम समुदाय के लिए बनाई गई संस्था है। जिसमें मेरे कार्यकाल में 10 लाख रुपए विधायक कोष से दिए गए थे जिसका निर्माण कार्य उक्त भूमि पर सार्वजनिक उपयोग हेतु किया गया था। यदि उक्त जमीन नाप में कम ज्यादा है तो संस्था द्वारा उसका पैसा जमा कर दिया जाएगा ऐसा और संस्थाओं के लिए भी डीएलबी द्वारा किया जाता रहा है।
राठौड ने जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर के नगरपालिका द्वारा समुदाय विशेष को परेशान करने के उद्देश्य से की जा रही कार्यवाही में हस्तक्षेत करने एवं न्याय दिलाने का आग्रह किया। राठौड़ ने कहा की हमें सभी को साथ लेकर के चलना चाहिए हमें अच्छी सोच रखने की जरूरत है आपस में भाईचारा बना रहे।