सभी राजनीतिक दल व उनके नेताओं की एक बात पर आपसी सहमति व रजामंदी हमेशा नजर आती है कि अव्वल तो मुस्लिम राजनीतिक नेतृत्व उभरने दिया ही नही जाये। अगर दिखावे के तौर पर मजबूरन कभी कभार उभारना भी पड़े तो छानबीन करके कमजोर से कमजोर नेतृत्व को उभारा जाये।
इसी तरह कभी किसी मुस्लिम को मंत्री बनाने की जान पर आ पड़े तो उन्हें अल्पसंख्यक मामलात या फिर भाषाई अल्पसंख्यक विभाग तक महदूद रखा जाये।
इसी सिद्धांत को अपनाते हुये राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने मंत्रीमंडल मे मुस्लिम प्रतिनिधित्व के तौर पर शालै मोहम्मद को मंत्री बनाकर उन्हें अलपसंख्यक मामलात विभाग तक ही सीमित रखा है।
विधायकों की तादाद के हिसाब से पंद्रह प्रतिशत मंत्री बनाने की इजाजत अनुसार राजस्थान मे तीस मंत्री बनाये जा सकने के बावजूद मुख्यमंत्री गहलोत ने कुल पच्चीस ही मंत्री बना रखे है। गाजर लटकाने की तरह पांच मंत्री की जगह मुख्यमंत्री ने खाली रख रखी है।
राजस्थान मंत्रीमंडल मे पोखरण विधायक व सिंधी धार्मिक गुरु गाजी फकीर के बेटे शाले मोहम्मद को गहलोत ने अपने मंत्रीमंडल मे जगह देकर प्रभावहीन अल्पसंख्यक मामलात विभाग की जिम्मेदारी दे रखी है।
मंत्री शाले मोहम्मद ने प्रदेश भर मे सक्रिय ना होकर मात्र जैसलमेर जिले तक अब तक के कार्यकाल में सीमित रहकर समुदाय के हिसाब से उदासीन मंत्री की भूमिका अदा की है।
राजस्थान मे कांग्रेस के निशान पर जीते आठ व बसपा से एक विधायक के कांग्रेस मे आने के बाद कुल नो मुस्लिम विधायक होने के बावजूद सिर्फ एक विधायक को मंत्री बना रखा है। लेकिन मंत्रीमंडल बदलाव व विस्तार की जल्द सम्भावना को देखते हुये सम्भावना जताई जा रही है कि मंत्री शाले मोहम्मद को बदला जायेगा ओर अन्य दो मुस्लिम विधायकों को मंत्री बनाया जायेगा।
जाहीदा खान, आमीन खान व शालै मोहम्मद के अलावा बाकी छ मुस्लिम विधायक सफीया ज़ुबैर, वाजिब अली, दानिश अबरार, रफीक खान, आमीन कागजी व हाकम अली पहली दफा विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे है। पहली दफा बने विधायकों को मंत्री बनाने या नही बनाने का फैसला उच्च स्तर पर होता है।
अगर पहली दफा बने विधायकों को मंत्री नही बनाने का तय होता है तो विकल्प के तौर पर एक से अधिक दफा बने विधायकों मे कामा विधायक जाहीदा खान, शिव विधायक आमीन खा व पोकरण विधायक शाले मोहम्मद का नाम ही शेष रहता है।
अगर पहले दफा बने विधायकों मे से मंत्री बनाना तय होता है तो मुख्यमंत्री के नजदीकी नगर विधायक वाजिब अली, सचिन पायलट के नजदीकी सवाईमाधोपुर विधायक दानिश अबरार व कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव व प्रियंका गांधी के नजदीकी जुबैर खान की पत्नी व रामगढ़ विधायक सफीया खान मे से विकल्प तलाशना होगा। इसके अलावा गठरी की ताकत पर जयपुर विधायक रफीक खान और आमीन कागजी भी उम्मीद लगाये बैठें है।
कुल मिलाकर यह है कि सिंधी मुस्लिम विधायक आमीन खा व शाले मोहम्मद के अतिरिक्त मेव विधायक सफीया, वाजिब व जाहीदा मे से मंत्री बनाने का दबाव अधिक रहेगा। इनके अतिरिक्त भी कुछ विधायक मंत्री बनने के लिये दिल्ली-जयपुर चक्कर लगाने लगे है।
-अशफ़ाक कायमखानी
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)