ऊपरी तोर पर राजस्थान में सत्तारुढ पार्टी कांग्रेस में कोराना की जंग के मध्य चलते सत्ता व संगठन स्तर पर सबकुछ ठीक नज़र आ रहा है!
लेकिन अंदर ही अंदर बहुत कुछ पकने के समाचार आ रहे है। विधायक दल में मुख्यमंत्री विरोधी सदस्य कोराना-19 की लड़ाई में केवल मुख्यमंत्री स्तर पर सभी तरह के फैसले लेने व अब तक किसी तरह की प्रमुख राजनीतिक व संवैधानिक नियुक्तियों तक का ना होने के अलावा कुछ अन्य विषयों को लेकर एक खेमा लोकडाऊन समाप्ति का इंतजार कर रहा है!
जैसे ही लॉक डाऊन ख़त्म होगा वैसे ही कुछ लोग दिल्ली हाईकमान के सामने अपनी पीड़ा बयान कर अपनी मांग रखकर दवाब बनाना शुरू कर सकते है!
हालांकि मंत्री मुरारीलाल मीणा द्वारा मुख्यमंत्री के यहां से सूची फाइनल होने के पहले ही अपने स्तर पर उपभोक्ता न्यायालय में अनेक नियुक्तियों के करने का मामला चर्चा मे चल रहा था।
वही लोकडाऊन के अंदर ही मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल के विभाग में चार समितियों के गठन का मामला भी सामने आ चुका है।
वही खबर यह भी आ रही है कि उधर मुख्यमंत्री स्तर पर अनेक संवैधानिक व राजनीतिक नियुक्तियों पर मंथन कर लिया गया है! अनुकूल समय आते ही एक एक करके उक्त नियुक्तियों की घोषणाओं का सिलसिला शुरू होगा!
राजनीतिक सुत्र बताते हैं कि कुछ लोग लम्बे समय से चले आ रहे सचिन पायलट को एक पद एक व्यक्ति के फ़ार्मुले के तहत प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर किसी चहते नेता को इस कुर्सी पर बैठाना चाहते है।
जिसमे रघू शर्मा का नाम भी बतौर ब्राह्मण के चर्चा में खासा बताते है। वही कुछ नेता इसके उलट मुख्यमंत्री की कार्यशैली को मुद्दा बनाकर दिल्ली हाईकमान को अपनी पीड़ा बयान कर दवाब बनाने की चाल चल सकते है। जिस मुहीम में तीन दर्जन विधायक शामिल हो सकते है!
कोविड-19 को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के सभी विधायकों व सांसदों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये फीडबैक लिया है। वही उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट कांग्रेस जिलाध्यक्षों व लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के रहे सभी उम्मीदवारों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये फीडबैक ले चुके है।
मंत्रीमंडल में आधे दर्जन से अधिक मंत्री, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के कट्टर समर्थक बताये जाते है। जो समय समय पर अपनी बात उचित माध्यम से रखते भी रहे है।
अस्पतालों मे शिशुओं के मरने के उठे बवाल को लेकर मुख्यमंत्री के नज़दीकी हेल्थ मिनिस्टर रघू शर्मा व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट में खराश होने की झलक पहले देख चुके है।
राज्यसभा के दो उम्मीदवारों को चयन को लेकर एक तो हाईकमान की पसंद थी पर दुसरे उम्मीदवार के चयन मे मुख्यमंत्री की एक तरफा चलने से कुछ लोग अंदर ही अंदर अलग बाते करते पाये गये।
वहीं राजस्थान के मामलों को लेकर सचिन पायलट की पत्नी सारा पायलट की ट्विटर पर बढती सक्रियता को लेकर भी राजनीतिक हलको मे चर्चा काफी है।
राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 101 विधायकों के अलावा बारह निर्दलीय विधायकों के अलावा बसपा से कांग्रेस मे शामिल हुये 6 विधायकों का समर्थन है।
सदन में दो माकपा व दो बीटीपी के विधायक है। भाजपा के पास 72 विधायक व तीन आरएलपी व एक निर्दलीय विधायक का समर्थन है।
राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने दो उम्मीदवार चुनाव मे उतारकर निर्विरोध चुनाव होने की बजाय मतदान होकर निर्वाचित होने में बदल दिया है। कांग्रेस के एक उम्मीदवार को लेकर कुछ विधायकों व नेताओं मे नाराज़गी बताते है लेकिन क्रॉस मतदान होने की कोई गुंजाइश नही लगती है।
कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान मे सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस सरकार में सरकार के कामकाज व राजनीतिक व संवैधानिक नियुक्तियों मे हो रही देरी को लेकर ऊपरी तौर पर ठीक ठीक चलता नज़र आ रहा होगा।
लेकिन अंदर ही अंदर पक रही खिचड़ी को देखते हुये सरकार की सेहत के लिये ठीक नहीं कहा जा सकता है। सूत्र बताते है कि चाय के प्याले में कभी भी तुफान उठ सकता है। वहीं भाजपा नेताओं की भी उक्त बनते-बिगड़ते रिस्तो पर पूरी नजर बताते है।
-अश्फ़ाक क़ायमखानी