ये देश जिस रास्ते पर जा रहा है अब उधर या तो कुंआ है या खाई है।
असम में भारतीय सेना में 32 साल काम कर चुके मोहम्मद सनाउल्लाह और उनके परिवार को ‘विदेशी’ करार देकर पुलिस कस्टडी में ले लिया गया है।
मोहम्मद सनाउल्लाह कारगिल युद्ध लड़े थे व उन्हें राष्ट्रपति पदक भी दिया गया था।
सनाउल्लाह जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों के काउंटर इंसरजेंसी ऑपरेशंस (घुसपैठ रोधी अभियान) का हिस्सा भी रह चुके हैं।
इसके आलावा उन्होंने वॉलियन्ट्री रिटायर्मेंट के बाद एसआई बॉर्डर पुलिस के तौर पर भी काम किया है।
इसके बावजूद इस देश के पास वह सबूत नहीं है कि वे भारतीय हैं।
सनाउल्लाह के चचेरे भाई अजमल हक़ ने मीडिया से कहा 30 सालों तक देश की सेवा करने के बाद हमारे साथ इस तरह का सलूक किया जा रहा है. हम आहत और दुखी हैं. हम गोवाहटी उच्च न्यायालय का रूख करेंगे ।
मोदी राष्ट्रवाद की बात करते हैं, लेकिन आर्मी के रिटायर्ड जवान के साथ इस तरह का व्यवहार किया जा रहा है।
अब इस देश को सोचना चाहिए कि क्या उस इंसान को नागरिकता साबित करने की जरूरत है जो 32 साल सेना में रहा है,जिसने कारगिल युद्ध लड़कर देश की रक्षा की है और जिसे राष्ट्रपति पदक तक दिया गया है।
– विक्रम सिंह चौहान