जयपुर: जवाबदेही कानून के धरने में पहुंचे बीटीपी के विधायक, विधानसभा में उठाएंगे आवाज़

 

जयपुर में शहीद स्मारक पर सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा जवाबदेही कानून की मांग को लेकर 22 फरवरी से दिए जा रहे धरने के 11 वें दिन मानव अधिकारों से संबंधित मुद्दों पर जन सुनवाई हुई।

जवाबदेही कानून की मांग को समर्थन देने और आज की जनसुनवाई में शामिल होने के लिए राजस्थान में भारतीय ट्राइबल पार्टी के दोनों विधायक, राम प्रसाद ढिंढोर और राजकुमार रोत पहुंचे।

भारतीय ट्राइबल पार्टी के डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा विधानसभा से विधायक रामप्रसाद डिंडोर ने कहा कि सामाजिक संगठनों के आंदोलन से आरटीआई जैसा कानून आया और यह जवाबदेही का कानून भी आपके संघर्ष से अवश्य आएगा ऐसी मुझे उम्मीद है। हम यह आवाज विधानसभा में उठाएंगे और इस कानून को हम पूरा समर्थन देते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया की यह कानून आदिवासियों के अपने हक प्राप्त करने के लिए बहुत ही जरूरी है। उनका यह भी कहना था की जन दबाव पर ही सरकारें काम करती हैं और जवाबदेही यात्रा और धरना दोनों ही सराहनीय कार्य हैं।

आरटीआई जैसा कानून जनसंघर्ष से आया और अब जवाबदेही का कानून भी अवश्य आएगा, ऐसी मुझे उम्मीद है। हम यह आवाज विधानसभा में उठाएंगे और इस कानून को हमारा पूरा समर्थन है – विधायक रामप्रसाद ढिंढोर

 


युवा विधायक राजकुमार रोत ने कहा कि संविधान के अनुसार जनता का राज होना चाहिए था लेकिन जनता की बात सुनी ही नहीं जाती है और जनता को राज्य की राजधानी में धरने में बैठना पड़ रहा है, यह चिंता का विषय है।

उन्होंने आगे कहा कि अनुसूचित जाति/ जनजाति विशेष विकास निधि ( योजना, आवंटन, क्रियान्वयन एवं वित्तीय संसाधनों का उपयोग) विधेयक 2022 पर जो जनता से सुझाव आए उनको सार्वजनिक किया जाए। उनका यह भी कहना था की प्रदेश में बहुत ज्यादा एससी एण्ड एसटी समुदाय पर अत्याचार हो रहा है और पुलिस को जवाबदेह बनाना जरूरी है।

लोकतंत्र में सरकारों द्वारा जनता की बात सुनी ही नहीं जाती है और जनता को राज्य की राजधानी में धरने में बैठना पड़ रहा है, यह चिंता का विषय है। एससी एसटी विशेष विकास निधि ( योजना, आवंटन, क्रियान्वयन एवं वित्तीय संसाधनों का उपयोग) विधेयक 2022 पर जो जनता से सुझाव आए उनको सार्वजनिक किया जाए – विधायक राजकुमार रोत

आज धरने में मानवाधिकार के परिपेक्ष्य में करीब 10 पीड़ित महिला व पुरुष आए। संविधान की धारा 15, कानून के समक्ष बराबरी, इज्ज़त से जीने का अधिकार व स्वायत्तता, धारा 21 व अभिव्यक्ति की आजादी, धारा 19, अपना धर्म का अनुसरण करने की आजादी, धारा 25 इत्यादि पर पूरी बात हुई।

अपने मर्जी से शादी करने के अधिकार को लेकर 4 लोगों ने अपनी बात रखी, झुंझुनू के राजू गुर्जर का कहना था का कि उसके चचेरे भाई ने मर्जी से गुर्जर लड़की से शादी की है, पुलिस लगातार उनको ढूँढने के लिए पूरे परिवार को पकड़ कर थाना में बिठा रही है और लड़की के घरवालों ने खुल के ऐलान किया है की वे दोनों को मार डालेंगे जब उनके हाथ आएंगे। वे न्याय के लिए पुलिस से छिपते – छिपते जयपुर आए हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत मोहनपुरीया ने अपने खुद का वाकया बताते हुए कहा कि उसकी मंगेतर सरोज जो जोधपुर पुलिस में कांस्टेबल थी, उसे उसके घर वालों ने 2018 में आत्महत्या के लिए प्रेरित किया और महिला आंदोलन के दबाव के बावजूद चालान तो हुआ पर सरोज के भाई जो पुलिस में नौकरी करते है और जिनका हाथ उसकी मौत में था वे 20 दिन जेल में रहे और उनको सस्पेंड किया गया लेकिन जेल से आने के बाद उन्हें बहाल कर दिया गया।

इसी तरह कय्यूम जिन्होंने श्वेता से मर्जी से Special मेरिज ऐक्ट के तहत शादी की पुलिस ने उन्हे झूठे पोक्सो केस में जेल में बंद करवाया, श्वेता के परिवार ने उसको इतना मारा जिसकी वजह से उनकी एक आँख की रोशनी चली गई।

इसी तरह ममता ने honour killing के मामले रखते हुए बताया कैसे उसके पति को उसकी आँखों के सामने उसके माता पिता ने मरवाया और पुलिस जांच में सब पकड़े गए पर अभी सारे गवाहों के बयान नही हुए और उच्चतम न्यायालय के फैसले कि उन्हें जमानत नहीं दी जाए उसके बावजूद जयपुर की निचली अदालत ने और राजस्थान हाई कोर्ट दोनों ने उसके माता और पिता को जमानत दे दी। उसने सवाल पूछा की न्यायपालिका को जवाबदेही कौन बनाएगा ? आज धरने में न्यायिक जवाबदेही की मांग जबरदस्त तरीके से उठी।

जयपुर के सदर थाना इलाके की तबस्सुम और उनके पिता याक़ूब अली (retd Ex en ) ने अपनी बात रखी की पड़ोसियों ने सड़क पर कब्जा किया और उनका घर जलाने की कोशिश की, जिससे वह घर छोड़कर भाग जाए, उनकी शिकायत के बावजूद पुलिस ने तीन महीने में भी FIR दर्ज नहीं की। बल्कि पुलिस उन्ही पर केस करने की धमकी देती रही ।

इसी तरह जयपुर के सांगानेर से आए बृजेश कुमार वर्मा ने अपनी पिताजी की सांगानेर इलाके में हुई हत्या की बात रखी। उन्होंने कहा कि जांच बिल्कुल सही नही हुई। एससी, एसटी कानून के बावजूद उन्हे कोइ भी विशेष लोक अभियोजक अदालत में नही मिला और सरकारी वकील की पैरवी बहुत ही कमजोर थी जिसकी वजह से सभी हत्यारे छूट गए। उन्होंने गुहार लगाई कि अब वे चाहते हैं की उच्च न्यायालय में उन्हे अच्छा वकील मिले जो उन्हे न्याय दिलवाए।

चिरंजी लाल बलाई ने बताया की कैसे फागी थाने ने बिल्कुल सही जांच नही की। उनके सवर्ण जाति के लोगों ने पैर तोड़ दिये अभी भी चालान नही हुआ है। एससी & एसटी कानून में मुआवजा भी नहीं मिला।

बाड़मेर से आए ऊदा राम का कहना था की बाड़मेर में पुलिस अब तो दलितों की एफआईआर भी दर्ज नहीं करती है बल्कि उनके विरोध में जरूर झूठे केस दर्ज करती है। अनेक उद्धरण देते हुए उन्होंने अपनी बात रखी। उनका यह भी कहना था की बाड़मेर में RTI ऐक्टिविस्ट पर बहुत फर्जी केस होते हैं लेकिन कुछ मामले में RTI कार्यकर्ता भी झूठे मामले दर्ज करवाते हैं।

धरने में आई किनर पुष्पा माई जो नई भोर संस्था चलाती है। ट्रांस जेंडर लोगों के लिए उन्होंने कहा कि शासन – प्रशासन की हर संस्थान चाहे पुलिस हो या कोई विभाग हो, या निजी संस्थान हो, ट्रांस जेंडर को बहुत ही भेद भाव पूर्ण जीवन जीना पड़ता है। उन्होंने अपील की की उन्हे भी इंसान के रूप में देखना चाहिये न की कोई कलंकित व्यक्ति।

धरने में तय हुआ कि पुलिस की जवाबदेही अहम है और कानून के मसौदे में उसका आना जरूरी है। अदालतों की जवाबदेही पर भी बात हुई और इस पर वकीलों और रिटायर्ड जजों की समिति बना कर मसौदा तैयार कर उच्च व उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को देना चाहिये। जीतने भी मसले आए उन्हे पुलिस महानिदेशक को ज्ञापन के रूप में दिया जाएगा।

सत्र को निष्कर्ष की ओर ले जाते हुए प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं पीयूसीएल राजस्थान की अध्यक्षा कविता श्रीवास्तव ने कहा कि जिसे संविधान का रक्षक और नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है वही पुलिस एवं अन्य एजेंसियां सबसे अधिक मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

राजस्थान विधानसभा के पास जवाबदेही कानून के समर्थन में हुई सभा

जवाबदेही आंदोलन के समर्थन में कठपुतली कॉलोनी विधानसभा के पास में बैठक हुई जिसमें कलाकारों और कच्ची बस्ती के लोगों ने भाग लिया और जवाबदेही आंदोलन को समर्थन दिया। यहां पर कला क्षेत्र से जुड़े रामलाल भट्ट ने मजदूरों और कलाकारों को आ रही समस्याओं के बारे में अपनी बात रखी।

जवाबदेही धरना क्यों दिया जा रहा है

पिछले 10 वर्षों से जवाबदेही कानून के लिए आंदोलन चल रहा है। हर व्यक्ति छोटे छोटे काम के लिए और समस्याओं के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते रहते हैं लेकिन उनके काम होते नहीं हैं और वे आगे से आगे अपना आवेदन देते रहते हैं यहां तक कि देश के महामहिम राष्ट्रपति को पत्र भेजते हैं लेकिन तब भी उनके काम नहीं होते हैं। इसलिए निर्धारित समय में काम और समस्याओं के समाधान की व्यवस्था बने और समय पर काम, समस्या का निराकरण नहीं करने या जवाब नहीं देने पर जिले और राज्य स्तर पर स्वतंत्र अधिकरण और आयोग बने जो सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों के ऊपर जुर्माना लगाए, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करे और शिकायतकर्ता को मुआवजा दिलाए।

 

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