मेव जाति ने एसबीसी में शामिल करने की अपनी माँग को और मजबूत किया है
अलवर एवं भरतपुर जिले का मेव जाति बाहुल्य क्षेत्र ,जो मेवात क्षेत्र के नाम से जाना जाता है, उनके अति- पिछड़ेपन को देखते हुए कोई तीन दशक पहले सन 1987-88 में राज्य सरकार ने मेवात क्षेत्र विकास कर्यक्रम प्रारम्भ किया था। जिसका उद्देश्य मेवात क्षेत्र के विकास को गति देना तथा इस क्षेत्र के लोगो का सामाजिक एवं आर्थिक स्तर को ऊँचा उठाना है।
शत-प्रतिशत राजस्थान सरकार से वित्त पोषित यह योजना अलवर जिले की आठ मेव बाहुल्य पंचायत समितियां ( लक्ष्मनगढ़, रामगढ़, तिजारा, , किशनगढ़बास , काठूमर, मुंडावर , उमरेण एवं कोटकासिम) तथा भरतपुर की तीन पंचायत सिमितियाँ ( डीग, कुम्हेर , नगर) में क्रियान्वित की जा रही है ।
परन्तु इतने बड़े क्षेत्र में उपरोक्त योजना से कोई परिवर्तन नजर नही आ रहा है ,जिसके परिणामस्वरूप आज तीस साल बाद भी मेव जाति की शैक्षणिक, सामजिक , आर्थिक स्थिति में कोई परिवर्तन नही आया है जिसके कारण क्षेत्र के लोगों ने अपनी माँग मेव जाति को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल करते हुए एसबीसी में शामिल करने के लिए राज्यसरकार को अवगत करवाया है । जिसके अनुशंसा नगर(भरतपुर) विधयाक ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से की है ।
उधर मेव जाति के नेताओ द्वारा इस बात के विचार को किसी आश्वासन के बजाये ठोस कदम उठाने हेतु सरकार का ध्यान इस ओर खींचा है।