वक्फ बिल पर मुस्लिम समुदाय ने जताई नाराजगी, जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन 

सीकर। मुस्लिम फोरम सीकर के एक प्रतिनिधी मण्डल ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों से सम्बन्धित वक्फ सम्पदाओं को लेकर बनाये जा रहे वक्फ बिल नम्बर 100/2024 को खारिज व अस्वीकार किये जाने के सम्बन्ध में जिला कलेक्टर सीकर को  राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में कहा है कि हमारा देश विभिन्न धर्मो, जातियों, सम्प्रदायों, संस्कारों व संस्कृतियों से बना लोकतांत्रिक राष्ट्र है। देश के संविधान व कानून द्वारा मुसलमानों के कल्याण, हितार्थ समय-समय पर आजादी से पूर्व व आजादी के पश्चात शासकों, नवाबों, राजाओं, सरकारों एवं सम्पन्न लोगों द्वारा अपनी जायदादें वक्फ की जाती रही है। इन सम्पतियों के सम्बन्ध में वक्फ कानून बना हुआ है। जो 1995 में काफी विस्तृत चर्चाओं एवं गहन अध्ययन, मशवरों के बाद पारित व लागू किया हुआ है।

मुसलमानों की वक्फ सम्पदाओं के सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा मौजूदा वक्त में इन वक्फ सम्पदाओं व मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों, मुस्लिम पर्सनल लॉ द्वारा प्रदत्त अधिकारों में अनावश्यक दखल करने व वक्फ सम्पदाओं को खुर्द बुर्द / क्षतिग्रसत करने, इन वक्फ सम्पदाओं की हैसियत तब्दील करने के लिये वक्फ अमेन्डमेन्ट बिल 2024 लागू किये जाने की कार्यवाही सरकार द्वारा की जा रही है। यह बिल पूरी तरह से त्रुटिपूर्ण होने के साथ साथ संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का घोर उल्लघंन है जिसकी आड़ में मुसलमानों को उनकी वक्फ सम्पदाओं से महरूम करने की सरकार की एक सुनियोजित योजना एवं षडयंत्र है। उक्त बिल को तुरन्त प्रभाव से निरस्त व अमान्य करार दिया जाना निहायत जरूरी है।

इस बिल को रद्द करने के साथ साथ मुसलमानों की वक्फ सम्पदाओं के रक्षार्थ सुरक्षार्थ व इन वक्फ सम्पदाओं का व्यावाहारिक तौर पर इस्तेमाल किया जाकर मुसलमानों को राष्ट्र के विकास में इन सम्पदाओं को विकसित कर उन्नति की ओर अग्रसर करने के सम्बन्ध में निम्नलिखित सुधार करने का सुझाव ज्ञापन में दिए गए हैं —

1. देश विभाजन से पूर्व की जितनी भी वक्फ सम्पदाएँ जो उस दौर के शासकों, नवाबों, राजाओं व सम्पन्न लोगों द्वारा वक्फ की गई है। उन सम्पदाओं का रिकार्ड तहसील/नगर परिषद/नगर पालिका / म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन / ग्राम पंचायत व राज्य एवं केन्द्र सरकार के अभिलेखाकार से दस्तयाब किया जाकर जो जायदादें वक्फ गजट में नोटिफाई होने से रह गई है उन्हें गजट में शामिल करने के लिये केन्द्र एवं राज्य स्तर पर वक्फ बोर्ड के समक्ष उच्च प्रशासनिक अधिकारी / स्टाफ तैनात किया जाकर 6 माह की अवधि में सम्पूर्ण रिकार्ड एकत्रित व उद्घोषित करवाकर प्रकाशित करवाया जावे।

2. जिन वक्फ सम्पदाओं को कई सालों से उनके मुतवल्लियों/वक्फ बोर्ड द्वारा न्यूनतम किराये पर दे रखा है। उन सम्पदाओं का स्टेडर्ड किराया उस क्षेत्र में मौजूदा वक्त में चल रहा है उसी के समकक्ष निर्धारित करवाये जाने सम्बन्धित उचित संशोधन वक्फ एक्ट 1995 में करवाया जावे तथा इन सम्पदाओं के किराया निर्धारण / बेदखली के सम्बन्ध में स्पेशल कोर्ट (वक्फ ट्रीब्यूनल) को फास्ट ट्रेक कोर्ट की भांति कार्यवाही करने के लिये अधिकृत किया जावे।

3. जिन वक्फ सम्पदाओं पर जिन अतिक्रमणियों चाहे वे किसी भी सम्प्रदाय/जाति के हो उनसे वक्फ सम्पदाओं को तुरन्त प्रभाव से खाली करवाये जाने व अतिक्रमण हटाये जाने के लिये विशेष अधिकारी व फोर्स नियुक्त अथवा डेपुटेशन पर लगवायी जाकर एक निश्चित समयावधि के भीतर वक्फ सम्पदाओं से अतिक्रमण हटवाया जाना सुनिश्चित किया जावे।

4. वक्फ सम्पदाओं को हड़पने के लिये अगर किसी भी तरह के कोई दस्तावेजात उनके बेचान, हस्तान्तरण सम्बन्धी सामने आते है तो ऐसे व्यक्तियों पर गंभीर धाराओं में मुकदमात दर्ज कर वक्फ को हुये नुकसान की भरपाई सम्बन्धित व्यक्तियों / संस्था की चल व अचल सम्पदाओं को कुर्क व नीलाम कर वसूल की जावे।

5. जो वक्फ सम्पदाएँ/जमीने खाली पड़ी हुई है उन्हें उस क्षेत्र में निवास करने वाले अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लोगों की आवश्यकताओं को देखते हुये उनके कल्याण हेतु विकसित किया जाए। वक्फ सम्पदाओं को विकसित करवाकर स्कूल, मदरसे, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, हॉस्पिटल, अनाथालय, वृद्धाश्रम, विकलांग व असहाय लोगों के लिए उनसे होने वाली आय खर्च की जावे।

6. मस्जिदों के इमाम, मुअज्जिन, क्लीनर आदि के वेतन राजकीय सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों की वेतन श्रृखला के अनुसार तय किए जाकर वह खर्चा इन वक्फ सम्पदाओं को विकसित करने से होने वाली आय से दिलवाया जाना सुनिश्चित किया जावे।

7. यदि वक्फ सम्पदाओं को खुर्द बुर्द करने के मामले में कोई भी दोषी पाया जाता हो तो उसके विरूद्ध उचित कानूनी कार्यवाही के साथ साथ ऐसे व्यक्ति को कभी भी वक्फ जायदाद का मुतवल्ली, वक्फ बोर्ड सदस्य, कर्मचारी, अधिकारी नियुक्त होने पर हमेशा के लिये रोक लगाई जावे।

8. वक्फ बोर्ड के गठन में मुस्लिम समाज के सभी सम्प्रदाय शिया, सुन्नी, बोहरा, खोजा इत्यादि को प्रबन्धन में शामिल किया जावे। जिसमें शामिल होने वाले सदस्यों , चेयरमेन की शैक्षणिक योग्यताएँ निर्धारण के साथ साथ उनकी Reputation, Previous Conduct, Record को भी ध्यान में रखे जाने की शर्ते, योग्यताएँ तय की जाये।

ज्ञापन देने के लिए मुस्लिम फोरम के डेलीगेशन में खुर्शीद हुसैन, अमीरुद्दीन तगला , सईद अहमद कुरैशी और अन्य गणमान्य नागरिक शामिल थे।

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