आतंकी मसूद अज़हर पर अमेरिकी पाबंदी का सौदा भारत के लिए कितना महँगा साबित होगा!


क्या मसूद अज़हर पर पाबंदी के लिए इतना महंगा सौदा देश हित में है?

आज मसूद अज़हर पर पाबंदी के जश्न में हम भारत पर लगी पाबंदी भूल जा रहे हैं। आज ईरान से सस्ता तेल खरीदने का आखिरी दिन था।

अमेरिका ने पिछले हफ्ते कहा था कि उसने मसूद अज़हर पर प्रतिबंध लगवाने में भारत का पक्ष लिया है इसलिए अब भारत को भी उसकी बात मानने पड़ेगी और ईरान से तेल खरीदना बंद करना पड़ेगा।

अमेरिका के अहसानों के तले दबा भारत चूं भी नहीं कर पाया।

हम अपनी ज़रूरत का 85% तेल आयात करते हैं। कुल आयात का तीसरा सबसे ज़्यादा यानी 13% ईरान से लेते हैं। लेकिन कल से ये लेते थे हो जाएगा।

ईरान से तेल खरीदने में फायदा ही फायदा है। बाकी तेल निर्यातकों के मुकाबले भारत के सबसे करीब है। भाड़ा कम लगता। बिना डॉलर के ही तेल मिल जाता था।

लेकिन मसूद अज़हर पर प्रतिबंध के एवज में हमने ये सहूलियत खो दी।

अमेरिका ने सौदेबाज़ी की है तो चीन ने तो ज़रूर कोई हित साधा होगा। मार्च में विजय गोखले अमेरिका गए थे। दो हफ्ते पहले चीन गए थे और उसके बाद चीन का हृदय परिवर्तन हुआ है।

अब ये भी बात है कि अगर सौदे करके मसूद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करा लिया तो ईगो satisfy करने के अलावा क्या तीर मार लिया। उसको फांसी पर थोड़े चढ़ा देंगे या फिर भारत पकड़ के ला नहीं पाएंगे।

हाफ़िज़ सईद भी तो कई दिनों से ग्लोबल टेररिस्ट है फिर भी वो पाकिस्तान में चुनाव लड़ने से लेकर भारत में आतंकी भेजने तक हर काम कर रहा है।

तो आखिर गेंदा भैया प्राप्त क्या हुआ

सुरेश ऋषि

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