ट्विटर पर चौकीदारी की घोषणा के दूसरे दिन ही बीजेपी की सांस फूल रही है. सारे मंत्री आसानी से नहीं राज़ी हुये ट्विटर पर अपने नाम के आगे चौकीदार लगाने के लिये.
खबरों के मुताबिक राजनाथ सिंह शुरू में नहीं माने. उनकी दलील थी कि उनका समाज (ठाकुर) इसे सहजता से नहीं लेगा. जनरल वीके सिंह तो आखिरी दम तक अड़े रहे.
उनका पक्ष भी वाजिब था. सेना के जनरल रह चुके हैं जिसकी अपनी एक मर्यादा होती है और रिटायर होने बाद भी नाम के आगे जनरल के पहले कुछ और लगाने की परंपरा नहीं है. उनका ट्विटर हैंडल भी @Gen_VKSingh है.
समझा जाता है बहुत दबाव के बाद सोमवार शाम को उन्होने अपने नाम के पहले चौकीदार लगाया और ट्वीट करके सफाई भी दी है.
सुषमा स्वराज भी सबसे बाद में जुड़ी इस अभियान में. लेकिन सुब्रह्मण्यम् स्वामी अभी भी अड़े हुये हैं और उन्होने ने अपने आपको चौकीदार घोषित नहीं किया है.
खबरें मिल रहीं हैं कि इतवार को मोदी, अमित शाह, मंत्रीपरिषद और बीजेपी के नेताओं के नाम से पहले चौकीदार जोड़ने के बाद सोशल मीडिया ने जिस तरह बखिया उधेड़ी है उसे लेकर इस अभियान को जारी रखने पर मंथन शुरू हो गया है. अंदर की रिपोर्ट बहुत खराब मिलीं हैं.
अब बीजेपी इससे बाहर निकलने का रास्ता तलाश कर रही है. काफी संभावना है कि इसे मार्च में खत्म कर दिया जाये. हो सकता है 31 मार्च को मोदी के जन संवाद में ही इसे खत्म करने की घोषणा हो जाये.
अब मोदी चौकीदार का साथ छोड़ते हैं या रखते हैं ये तो वही तय करेंगे पर खेल के पहले हाफ में एक गोल से पीछे ज़रूर हो गए हैं.
-प्रशांत टण्डन
(सीनियर पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक)