राजस्थान के विभिन्न जनसंगठनों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख कर आगाह किया है कि अब तक के सफल लाॅक डाउन और महामारी की रोकथाम के लिए किए गए प्रयासों पर शराब की दुकानें खोलने से सब किये कराये पर पानी फिरता नज़र आ रहा है।
जनसंगठनों ने मांग की है कि प्रदेश में शराब की बिक्री को तत्काल बंद करवाने के साथ साथ सरकार को सम्पूर्ण नशाबंदी पर भी विचार करना चाहिए।
जनसंगठनों ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि,
4 मई से जैसे ही शराब की दुकाने खुली हैं शराबी बैंड बाजों के साथ शराब लेने के लिए सारे प्रोटोकोल की धज्जियां उड़ाते हुए सुबह 6 बजे से ही डेढ-दो कि.मी. लम्बी लाईनों में लगे हैं।
ये कोरोना महामारी के खिलाफ आपके दो महीने की सारी मेहनत पर पानी फेरने जैसा है।
माना कि सरकार को राजस्व की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है और केन्द्र सरकार भी खाली बातें करने के सिवाय अतिरिक्त कोई सहायता नहीं कर रही है परन्तु आमजन की सेहत से बड़ा कुछ नहीं है।
राजस्थान नागरिक मंच की ओर से प्रधानमंत्री, भारत सरकार को भी 26 अप्रैल और 2 मई 2020 को सम्पूर्ण शराब बंदी के लिए अनुकूल माहौल की तकरीर के साथ देश में सम्पूर्ण नशाबन्दी की मांग की थी।
परन्तु इसकी अनदेखी कर शराब की दुकानें खोल दी गई जिससे बिगड़े हालात हमारे सामने हैं।
घरेलू हिंसा और सड़क दुर्घटनाओं के एकदम से बढ़ने की आशंकाओं के साथ महामारी के बड़े उभार लेने की स्थिति बन गई हैं।
अपेक्षा है आप इसका संज्ञान लेकर सकारात्मक कार्रवाई करेंगे।
मुख्यमंत्री को पत्र लिखने में निम्नलिखित संगठन शामिल हैं-
डॉ.वीरेंद्र सिंह – इंडियन अस्थमा केयर सोसायटी,
सवाई सिंह – राजस्थान समग्र सेवा संघ,
हेमलता कंसोटिया- नेशनल कम्पेन डिग्निटी एंड राइट सीवरेज एंड एलाइड वर्कर्स,
धर्मवीर कटेवा – राजस्थान प्रदेश नशाबन्दी समिति
सीमा कुमारी – सवैधानिक अधिकार संघठन
डॉ मोहम्मद इकबाल सिद्दीकी – नशामुक्त भारत आंदोलन, राजस्थान
बसन्त हरियाणा, अनिल गोस्वामी – राजस्थान नागरिक मंच
राजेश यागिक, मधु गुप्ता -बंधुवा मुक्ति मोर्चा,राजस्थान
राजन चौधरी – तम्बाकू रहित राजस्थान अभियान,जयपुर (TARA)